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दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ मोइत्रा मामले में सीबीआई चार्जशीट पर रोक लगाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति को रद्द कर दिया है। यह मामला पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने से संबंधित है। सुनवाई के दौरान महुआ के वकील ने कानूनी प्रक्रिया का पालन न होने का तर्क दिया। कोर्ट ने लोकपाल को एक महीने के भीतर उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्णय लेने का निर्देश दिया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ मोइत्रा मामले में सीबीआई चार्जशीट पर रोक लगाई

महुआ मोइत्रा के खिलाफ चार्जशीट पर रोक


दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल की चार्जशीट फाइल करने की अनुमति को रद्द किया


टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल नहीं की जाएगी। शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने लोकपाल द्वारा चार्जशीट फाइल करने की अनुमति को रद्द कर दिया। यह मामला पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने से संबंधित है। सुनवाई के दौरान महुआ मोइत्रा के वकील ने तर्क दिया कि लोकपाल ने मंजूरी देते समय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।


कानून के अनुसार, किसी जनप्रतिनिधि के खिलाफ कार्रवाई से पहले उनकी टिप्पणी लेना आवश्यक है, जो इस मामले में नहीं लिया गया। उल्लेखनीय है कि महुआ मोइत्रा ने 2019 में सांसद बनने के बाद से 28 केंद्रीय मंत्रालयों से जुड़े 62 सवाल पूछे हैं, जिनमें से 9 सवाल अडाणी समूह से संबंधित थे।


कोर्ट ने लोकपाल की गलती पर जताई चिंता

जस्टिस अनिल क्षतरपाल और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने कहा कि लोकपाल ने इस मामले में गलती की है। कोर्ट ने लोकपाल को निर्देश दिया है कि वह लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20 के तहत एक महीने के भीतर उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्णय ले।


बीजेपी सांसद ने उठाया था मामला

यह मामला अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ, जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया कि उन्होंने महंगे उपहार और पैसे लेकर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछे। महुआ पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का भी आरोप लगाया गया था। इसके बाद मामला लोकसभा की एथिक्स कमेटी में भेजा गया, जहां महुआ को दोषी पाया गया और उन्हें लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया।


एथिक्स कमेटी में महुआ की दोषिता

महुआ मोइत्रा को लोकसभा की एथिक्स कमेटी में दोषी पाए जाने के बाद मामला लोकपाल के पास पहुंचा। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत सांसद लोकपाल के दायरे में आते हैं, और यदि आरोप रिश्वत या अनुचित प्रभाव से जुड़े हों, तो लोकपाल जांच कर सकता है।