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दिल्ली हाईकोर्ट ने राजपाल यादव को चेक बाउंस मामले में विदेश यात्रा की अनुमति दी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेता राजपाल यादव को चेक बाउंस मामले में मेलबर्न जाने की अनुमति दी है। यह अनुमति कुछ शर्तों के अधीन है, जिसमें एक लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद जमा करना शामिल है। राजपाल यादव को पहले भी इस मामले में सजा सुनाई गई थी, लेकिन अब उनकी सजा पर रोक लगा दी गई है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और राजपाल यादव की यात्रा की शर्तें।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने राजपाल यादव को चेक बाउंस मामले में विदेश यात्रा की अनुमति दी

राजपाल यादव को मिली सशर्त यात्रा अनुमति

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव को चेक बाउंस के मामले में मेलबर्न जाने की शर्तों के साथ अनुमति प्रदान की है। अभिनेता 27 जून से 5 जुलाई 2025 तक अपनी नई फिल्म 'मेरा काले रंग दा यार' के प्रचार कार्यक्रमों में भाग लेंगे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यात्रा की अनुमति कुछ शर्तों के अधीन होगी, जिसमें एक लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद (एफडीआर) अदालत की रजिस्ट्री में जमा करना शामिल है। इसके साथ ही, उन्हें अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी उपलब्ध कराना होगा, जो विदेश यात्रा के दौरान हमेशा सक्रिय रहना चाहिए।


अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट में जमा उनका पासपोर्ट विदेश यात्रा के लिए उन्हें सौंपा जाएगा, लेकिन भारत लौटने के बाद इसे फिर से अदालत में जमा करना अनिवार्य होगा।


यह मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें राजपाल यादव को पिछले वर्ष सजा सुनाई गई थी। उन्होंने और उनकी पत्नी ने इस सजा के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जून 2024 में अदालत ने यह मानते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी थी कि वे गंभीर अपराधी नहीं हैं और उनके मामले में सुधार की संभावना है। अदालत ने दोनों पक्षों को आपसी समझौते की संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया था, जो वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय के मध्यस्थता केंद्र में विचाराधीन है।


गौरतलब है कि 2010 में राजपाल यादव ने अपनी फिल्म 'अता-पता लापता' के लिए 5 करोड़ रुपये का लोन लिया था, लेकिन वह इसे वापस नहीं कर पाए। इसके बाद उनके खिलाफ चेक बाउंस से संबंधित सात अलग-अलग शिकायतें दर्ज की गईं। कड़कड़डूमा कोर्ट ने राजपाल को कई नोटिस भेजे, लेकिन वह अदालत में उपस्थित नहीं हुए।


2013 में उन्हें 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। उन्होंने 3 से 6 दिसंबर 2013 तक जेल में चार दिन बिताए थे, जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उनकी अपील पर सजा निलंबित कर दी थी।