दिवाली पर मुहूर्त ट्रेडिंग: एक अनोखी परंपरा

दिवाली का त्योहार और शेयर बाजार
दिवाली, जो रोशनी, मिठाई और लक्ष्मी पूजा का प्रतीक है, एक ऐसा समय है जब लोग अपने कामकाज से विराम लेकर परिवार के साथ जश्न मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन जब पूरा देश छुट्टियों के मूड में होता है, तब भी हमारे देश का शेयर बाजार एक घंटे के लिए विशेष रूप से खोला जाता है? इसे 'मुहूर्त ट्रेडिंग' कहा जाता है।यह परंपरा भारतीय शेयर बाजार की एक पुरानी और महत्वपूर्ण परंपरा है। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के समय एक घंटे का विशेष ट्रेडिंग सत्र आयोजित किया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह दिन नए संवत की शुरुआत का प्रतीक है।
इस दिन, निवेशक और ब्रोकर, विशेषकर मारवाड़ी और गुजराती समुदाय के लोग, शेयर बाजार को एक मंदिर की तरह मानते हैं। वे इस शुभ समय में छोटे-मोटे निवेश या खरीद-बिक्री करते हैं, जिसे 'शगुन' माना जाता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे व्यापारी दिवाली पर अपनी नई खाता-बही की शुरुआत करते हैं।
क्या यह पैसा कमाने का अवसर है? ज्यादातर विशेषज्ञ और अनुभवी निवेशक इसे पैसा कमाने का मौका नहीं मानते, बल्कि इसे एक शुभ शुरुआत के रूप में देखते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र समय में किया गया निवेश पूरे वर्ष समृद्धि और धन लाता है।
इस एक घंटे के दौरान बाजार में आमतौर पर सकारात्मक माहौल होता है और वॉल्यूम भी कम रहता है। कई लोग इस दिन अपने बच्चों के लिए या अपने पोर्टफोलियो में पहला शेयर खरीदते हैं। यह एक प्रतीकात्मक निवेश है, जो बाजार के प्रति सम्मान और आने वाले वर्ष के लिए अच्छी उम्मीदों को दर्शाता है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) दोनों इस विशेष सत्र का आयोजन करते हैं। अगली बार जब आप दिवाली पर पटाखे जला रहे हों, तो याद रखें कि कोई व्यक्ति अपने नए वित्तीय वर्ष की शुभ शुरुआत कर रहा है। यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि निवेश केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि विश्वास और उम्मीद का भी नाम है।