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दुर्गापूजा पर ममता बनर्जी का सेकुलरिज्म: क्या चुनाव से पहले ईद पर भी होगा ऐसा?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्गापूजा के दौरान धर्मनिरपेक्षता का एक नया उदाहरण पेश किया है। उनके साथ मंत्री मदन मित्रा ने पंडाल में खड़े होकर काबा और मदीना का गुणगान किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। अब सवाल यह उठता है कि क्या वे अगले साल ईद के मौके पर भी ऐसा ही करेंगी? इस लेख में हम इस विषय पर चर्चा करेंगे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के दशहरा उद्घाटन के फैसले का भी जिक्र करेंगे।
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दुर्गापूजा पर ममता बनर्जी का सेकुलरिज्म: क्या चुनाव से पहले ईद पर भी होगा ऐसा?

त्योहारों के बीच सेकुलरिज्म का प्रदर्शन

हिंदू त्योहारों का समय चल रहा है, लेकिन कई राजनीतिक दलों और उनके नेताओं का धर्मनिरपेक्षता का प्रदर्शन भी देखने को मिल रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें दुर्गापूजा के अवसर पर अपनी धर्मनिरपेक्षता साबित करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके बाद ऐसा कोई अवसर नहीं मिलेगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्गापूजा पंडालों के लिए पहले से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान की है। हाल ही में, जब वे एक पंडाल में गईं, तो उनके साथ राज्य सरकार के मंत्री मदन मित्रा भी मौजूद थे। मदन मित्रा ने पंडाल में खड़े होकर माइक से काबा और मदीना का गुणगान किया, जबकि ममता बनर्जी ताली बजाते हुए उनके गाने का आनंद ले रही थीं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।


अब सवाल यह उठता है कि जब अगले साल चुनाव से पहले ईद का त्योहार आएगा, तो क्या ममता बनर्जी और उनके मंत्री किसी मस्जिद में खड़े होकर माता वैष्णो देवी या मां काली का भजन गाएंगे? इस पर तृणमूल कांग्रेस में कोई स्पष्टता नहीं है। इससे पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यह निर्णय लिया था कि इस साल मैसुरू दशहरा का उद्घाटन बुकर पुरस्कार विजेता मुस्लिम लेखिका बानू मुश्ताक करेंगी। कई लोगों ने इसका विरोध किया, लेकिन सिद्धारमैया ने अपनी बात पर अडिग रहते हुए बानू मुश्ताक से दशहरा उत्सव का उद्घाटन कराया। अब उनके सामने यह चुनौती है कि किसी मुस्लिम त्योहार का उद्घाटन किसी हिंदू लेखक या कलाकार से करवा कर दिखाएं।