देहरादून में मंत्री और डीएम के बीच विवाद: आपदा के समय संवाद की कमी

देहरादून में मंत्री गणेश जोशी का विवाद
देहरादून में मंत्री और डीएम के बीच विवाद: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा क्षेत्र में हाल ही में आई आपदा के दौरान राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और जिलाधिकारी के बीच हुई बातचीत ने काफी ध्यान खींचा है। एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है जिसमें मंत्री जोशी, डीएम द्वारा फोन न उठाने से नाराज नजर आ रहे हैं।
इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मंत्री ने डीएम से बातचीत करने की इच्छा जताई, लेकिन डीएम हाथ जोड़ते हुए बिना बातचीत किए वहां से चले जाते हैं। इस दौरान वहां मौजूद कप्तान (एसएसपी) भी बिना रुके आगे बढ़ जाते हैं, जबकि मंत्री कुछ क्षणों के लिए चुप खड़े रह जाते हैं। यह घटना सरकार और प्रशासन के बीच संवाद और समन्वय की स्थिति पर सवाल उठाती है। आपदा जैसी गंभीर स्थिति में मंत्री और अधिकारियों के बीच इस तरह के दृश्य जनता को चौंका रहे हैं।
वीडियो की विशेषताएँ
वीडियो की खास बात: वीडियो में मंत्री यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि उन्होंने पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कमिश्नर विनय शंकर पांडेय और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत कर ली है। फिर भी, उन्होंने डीएम से अलग से बात करने की आवश्यकता क्यों महसूस की, यह सवाल अब चर्चा का विषय बन गया है।
देखें वीडियो
उत्तराखंड के ‘शक्तिमान’ कांड और आय को लेकर सुर्खियों में रहने वाले विधायक गणेश जोशी ज्यू का देहरादून के लाटसाहब सविन बंसल जी के साथ गहमागहमी का वीडियो वायरल हो रहा है. pic.twitter.com/UOuodW4H8S
— Hemraj Singh Chauhan (@JournoHemraj) September 17, 2025
प्रशासनिक संतुलन पर सवाल
प्रशासनिक संतुलन और कार्यप्रणाली पर सवाल: आपदा के समय प्रशासन, पुलिस और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल बेहद महत्वपूर्ण होता है। राहत और बचाव कार्य तभी सफल हो सकते हैं जब सभी एकजुट होकर काम करें। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार, डीएम और अन्य अधिकारी पहले से ही आपदा राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। ऐसे में इस प्रकार की स्थिति प्रशासनिक संतुलन और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने उठाया मुद्दा: विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब जनता आपदा का सामना कर रही है, तब शासन और प्रशासन के बीच संवाद की कमी चिंता का विषय है। दूसरी ओर, जनता अब सरकार से यह उम्मीद कर रही है कि इस मामले पर कोई स्पष्ट बयान आए, जिससे यह भरोसा बना रहे कि मंत्री और अधिकारी व्यक्तिगत नाराजगी से ऊपर उठकर राहत कार्यों में लगे हुए हैं।