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देहरादून स्कूल में छात्रों से मजदूरी कराने का मामला, प्रधानाध्यापक निलंबित

उत्तराखंड के देहरादून में एक स्कूल में छात्रों से मजदूरी कराने का वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं। आदेश में छात्रों से श्रम कराना गंभीर अपराध बताया गया है, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी और शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवालों के बारे में।
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देहरादून स्कूल में छात्रों से मजदूरी कराने का मामला, प्रधानाध्यापक निलंबित

देहरादून में वायरल वीडियो से मचा हड़कंप

देहरादून वायरल वीडियो: उत्तराखंड के देहरादून में एक विद्यालय में छात्रों से मजदूरी कराने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई की है। इस मामले में स्कूल के प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया है। वायरल वीडियो में छात्र रेत और बजरी उठाते हुए दिखाई दे रहे थे, जिससे राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल उठने लगे थे।


निर्माण कार्य के दौरान छात्रों का श्रम

दरअसल, देहरादून के रायपुर क्षेत्र में एक विद्यालय में निर्माण कार्य चल रहा था। इस दौरान, स्कूल प्रबंधन ने मजदूरों की जगह छात्रों से काम करवाना शुरू कर दिया, जिसके चलते छात्र रेत और बजरी उठाने लगे। जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, शिक्षा व्यवस्था और सरकार पर सवाल उठने लगे। इसके परिणामस्वरूप, शिक्षा विभाग ने प्रधानाध्यापक को निलंबित करने का निर्णय लिया।


जिला शिक्षा अधिकारी की जांच के आदेश

जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए जांच के आदेश 

छात्रों से मजदूरी कराने के इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी ने संज्ञान लिया और प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने पूरे मामले की जांच के आदेश भी दिए हैं। विभागीय आदेश में स्पष्ट किया गया है कि बच्चों से किसी भी प्रकार का गैर-शैक्षणिक कार्य करवाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है और भविष्य में ऐसी घटनाओं के लिए किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।


आदेश में क्या कहा गया है?

क्या कहा गया है आदेश में ?

जारी आदेश में छात्रों से मजदूरी कराना गंभीर अपराध माना गया है। यह न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन है, बल्कि बाल संरक्षण एवं महिला सशक्तिकरण विभाग के दिशा-निर्देशों के खिलाफ भी है। जिला शिक्षा अधिकारी ने उप शिक्षा अधिकारी, रायपुर को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए निर्देश दिए हैं कि वे पूरे मामले की गहन जांच कर 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।