द्रौपदी मुर्मू ने श्रवण सिंह को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया
श्रवण सिंह की वीरता को मिला मान
नई दिल्ली: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को नन्हें वीर श्रवण सिंह को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उनकी अद्वितीय साहस और पराक्रम के लिए दिया गया है। केवल दस साल के श्रवण ने भारत-पाकिस्तान के बीच चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सैनिकों की निस्वार्थ सेवा की थी। उन्होंने सीमा पर तैनात सैनिकों को घर से लस्सी, दूध और रोटी पहुंचाने का कार्य किया।
देश सेवा का अद्वितीय उदाहरण
दस वर्षीय श्रवण सिंह ने बिना किसी आदेश के अपनी इच्छा से सैनिकों की सहायता की। उनका यह कार्य देशप्रेम और निडरता का प्रतीक है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब सेना पंजाब के फिरोजपुर जिले में तैनात थी, तब श्रवण रोजाना सैनिकों के लिए पानी, दूध, लस्सी, चाय और बर्फ लेकर जाता था। उस समय स्थिति संवेदनशील थी, लेकिन उसने सेवा का मार्ग चुना।
A 10 years old, Shravan Singh from Chak Taran Wali village, Ferozepur, showed extraordinary courage and compassion.
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) December 26, 2025
During Operation Sindoor, while danger loomed at high-risk border posts, Shravan selflessly served water, milk and tea to Indian Army personnel stationed at… pic.twitter.com/wAD2o5ngpd
श्रवण का कर्तव्यबोध
जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने श्रवण को सम्मानित किया, तो उसने कहा कि उसने यह सब अपनी मर्जी से किया। श्रवण ने बताया कि जब सैनिक पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनके गांव आए, तो उसे लगा कि उनकी मदद करना उसका कर्तव्य है। इस सम्मान को पाकर श्रवण बहुत खुश है और उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे इतनी बड़ी पहचान मिलेगी।
परिवार का गर्व
अधिकारियों के अनुसार, श्रवण ने सैनिकों की मदद करने के लिए परिवार के किसी सदस्य की अनुमति का इंतजार नहीं किया। उसके पिता ने बताया कि पूरे परिवार को उसके कार्य पर गर्व है और सैनिक भी उसे बहुत पसंद करते थे।
इससे पहले भी भारतीय सेना ने श्रवण के योगदान को सराहा था। मई में 7वीं इन्फैंट्री डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल रणजीत सिंह मनराल ने उसे सम्मानित किया था।
श्रवण सिंह का परिचय
दस साल का श्रवण सिंह पंजाब के फिरोजपुर जिले के मामडोट इलाके के तारा वाली गांव का निवासी है। उसके माता-पिता का नाम सोना सिंह और संतोष रानी है। वह चौथी कक्षा का छात्र है। श्रवण का गांव भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। उसने बताया कि वह बड़ा होकर फौजी बनना चाहता है और देश की सेवा करना उसका सपना है।
ऑपरेशन सिंदूर का महत्व
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई 2025 को हुई थी। भारतीय सेना ने यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
इस अभियान के तहत भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी संगठनों के कई ठिकानों पर कार्रवाई की थी। इसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ा और दोनों देशों के बीच कुछ दिनों तक गोलीबारी हुई, जो बाद में युद्धविराम समझौते के साथ थमी।
