धराली में बादल फटने से स्थिति गंभीर, बचाव कार्यों में बाधा

धराली में प्राकृतिक आपदा का कहर
उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में बादल फटने से हुई तबाही के बाद, अब झील का पानी और लगातार बारिश ने बचाव दल के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। झील के पानी ने कई मार्गों को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। इसके अलावा, भारी बारिश के कारण भागीरथी नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है.
जलभराव से प्रभावित क्षेत्र
गंगोत्री के निकट धराली में एक झील से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई है। इस जलभराव ने धराली की अस्थायी सड़कों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। गंगोत्री और धराली को जोड़ने वाला मार्ग बंद हो गया है, और अस्थायी रास्तों के निर्माण में भी भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह स्थिति उनकी दैनिक जीवन को और कठिन बना रही है.
एसडीआरएफ की चेतावनी
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने धराली और हर्षिल में उच्च अलर्ट जारी किया है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। लगातार बारिश और बढ़ते जलस्तर ने क्षेत्र में खतरे की घंटी बजा दी है। गढ़वाल मंडल के आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय ने बताया कि 43 लोग लापता हैं, जिनमें से धराली गांव के एक युवक आकाश पंवार का शव बरामद किया गया है। बाकी 42 लोगों की तलाश जारी है, जिसमें सेना के जवान, धराली के निवासी, और अन्य क्षेत्र के लोग शामिल हैं.
बचाव कार्यों में बाधा
सोमवार को उत्तरकाशी के विभिन्न हिस्सों में हुई मूसलाधार बारिश ने बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न की। खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर सेवाएं शुरू नहीं हो सकीं, जिससे मलबे में दबे लोगों की खोज अभी भी जारी है। अधिकारियों का कहना है कि मौसम में सुधार होने तक बचाव अभियान में तेजी लाना मुश्किल होगा.
धराली हादसे की यादें ताजा
पांच अगस्त को खीरगंगा नदी में आई भीषण बाढ़ ने धराली गांव को तबाह कर दिया था। इस आपदा के बाद मलबे में दबे लोगों के जीवित मिलने की उम्मीद अब धूमिल पड़ती जा रही है। लगभग एक हफ्ता बीत जाने के बावजूद, लापता लोगों की तलाश जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछली आपदा से उबरने से पहले ही नई मुसीबत ने उन्हें घेर लिया है.