धर्मस्थल में सामूहिक कब्रों का रहस्य: क्या छिपा है 200 शवों के पीछे?

धर्मस्थल में सामूहिक कब्रों की जांच में नया मोड़
कर्नाटक के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल धर्मस्थल में सामूहिक कब्रों की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) को एक और चौंकाने वाला सबूत मिला है। नेत्रावती नदी के किनारे खुदाई के दौरान कंकाल और लाल साड़ी के टुकड़े मिले हैं, जिसने इस मामले को और भी रहस्यमय बना दिया है।
पूर्व सफाई कर्मचारी का सनसनीखेज खुलासा
यह मामला तब सामने आया जब एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने आरोप लगाया कि 1995 से 2014 के बीच उसे दबाव में कई शवों को गुप्त रूप से दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। उसके इस बयान ने जांच एजेंसियों में हलचल मचा दी है, और अब तक दो स्थानों से मानव अवशेष प्राप्त हो चुके हैं।
नदी किनारे मिली लाल साड़ी और कंकाल
सोमवार को SIT ने ग्यारहवें स्थान पर खुदाई की, जहां एक कंकाल के साथ लाल रंग की साड़ी के टुकड़े भी मिले। अधिकारियों को संदेह है कि यह आत्महत्या का मामला हो सकता है, क्योंकि पास के एक पेड़ पर भी साड़ी का एक हिस्सा लटका मिला। हालांकि, पुलिस हत्या या यौन अपराध के एंगल से भी जांच कर रही है।
पहले भी मिले थे हड्डी के अवशेष
इससे पहले, 31 जुलाई को छठे स्थान पर खुदाई के दौरान कुछ हड्डियां मिली थीं। प्रारंभिक जांच में ये पुरुष के अवशेष बताए गए थे। सभी अवशेष फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं, जिससे मौत के कारण और समय का पता लगाया जा सके।
सफाई कर्मचारी का दावा
तीन जुलाई को दर्ज कराई गई शिकायत में पूर्व सफाई कर्मचारी ने कहा कि उसे ताकतवर लोगों के दबाव में करीब 13 जगहों पर शव दफनाने पड़े। उसने बताया कि इनमें कई शव महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के थे, जिन पर हिंसा और यौन उत्पीड़न के निशान थे। उसने सुरक्षा की मांग की है और उसकी पहचान गुप्त रखी गई है।
SIT की विशेषज्ञ टीम
SIT ने राजस्व विभाग, पुलिस और फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर जांच को तेज कर दिया है। खुदाई की प्रक्रिया को वीडियो रिकॉर्ड किया जा रहा है ताकि जांच में पारदर्शिता बनी रहे। अब तक 10 में से 2 स्थानों से मानव अवशेष मिले हैं, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि कई और चौंकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं।
धर्मस्थल में हड़कंप
धर्मस्थल, जहां प्रसिद्ध श्री मंजुनाथेश्वर मंदिर स्थित है, इस खुलासे के बाद चिंता और विवाद का केंद्र बन चुका है। जैन समुदाय ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ लोग इसका इस्तेमाल जैन शासकों को बदनाम करने के लिए कर रहे हैं। श्री गुनाधर नंदी महाराज ने कहा, 'ऐतिहासिक रिकॉर्ड में जैनों द्वारा अत्याचार का कोई प्रमाण नहीं है। यह बदनामी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।'
क्या 200 शवों का रहस्य खुलेगा?
स्थानीय पंचायत के अनुसार, 1995 से अब तक करीब 200 अज्ञात शवों को नदी किनारे या जंगलों में कानूनी प्रक्रिया के तहत दफनाया गया है। अब सवाल उठता है कि क्या ये शव वैध रूप से दफनाए गए थे या इसके पीछे कोई राक्षसी साजिश छिपी है?