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धर्मेंद्र के निधन से फगवाड़ा में शोक की लहर

धर्मेंद्र के निधन की खबर ने उनके गृहनगर फगवाड़ा को गहरे सदमे में डाल दिया है। उनके बचपन के दोस्तों ने उनकी यादों को ताजा करते हुए बताया कि कैसे वह हमेशा अपने शहर से जुड़े रहे। जानें इस दुखद घटना के बारे में और फगवाड़ा में शोक का माहौल।
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धर्मेंद्र के निधन से फगवाड़ा में शोक की लहर

फगवाड़ा में शोक का माहौल

फगवाड़ा: बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र, जिन्हें 'हीमैन' के नाम से जाना जाता है, के निधन की खबर ने उनके गृहनगर फगवाड़ा को गहरे सदमे में डाल दिया है। यह वही स्थान है जहां उन्होंने अपने बचपन के सुनहरे पल बिताए थे, और इस कारण आज यहां की हवा में उदासी छाई हुई है। जैसे ही करण जौहर और अन्य स्रोतों ने उनके निधन की पुष्टि की, फगवाड़ा में शोक की लहर दौड़ गई। धर्मेंद्र भले ही मुंबई में एक सुपरस्टार बन गए, लेकिन उनका दिल हमेशा फगवाड़ा के लिए धड़कता रहा। वह अपनी पंजाब यात्राओं के दौरान हमेशा यहां रुकते और अपने पुराने दोस्तों के साथ समय बिताते थे।


धर्मेंद्र के निधन से फगवाड़ा में शोक की लहर

फगवाड़ा में हरजीत सिंह परमार व उनके परिवार के साथ धर्मेंद्र व उनकी पत्नी प्रकाश कौर


फगवाड़ा के निवासियों के लिए यह समाचार किसी वज्रपात से कम नहीं है। 10 नवंबर को जब धर्मेंद्र की तबीयत बिगड़ी और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब से शहर के मंदिरों और गुरुद्वारों में उनकी सलामती के लिए प्रार्थनाएं की जा रही थीं। हालांकि, जब डॉक्टर ने उन्हें घर भेजा, तो लोगों ने राहत की सांस ली थी। लेकिन सोमवार को आई दुखद खबर ने सभी की उम्मीदों को तोड़ दिया। फगवाड़ा में उनके बचपन के करीबी दोस्त, जैसे कुलदीप सरदाना, हरजीत सिंह परमार और एडवोकेट शिव चोपड़ा, इस खबर से पूरी तरह टूट गए हैं। ये लोग धर्मेंद्र को तब से जानते थे, जब उन्हें केवल 'धरम' के नाम से जाना जाता था।


धर्मेंद्र के निधन से फगवाड़ा में शोक की लहर

अपने स्कूल के मित्र एडवोकेट एस.एन चोपड़ा के साथ धर्मेंद्र


धर्मेंद्र का फगवाड़ा से गहरा और आत्मीय रिश्ता था। उनके पिता, मास्टर केवल कृष्ण चौधरी, यहां के आर्य हाई स्कूल में गणित और सामाजिक अध्ययन पढ़ाते थे। धर्मेंद्र ने इसी स्कूल से 1950 में मैट्रिक पास की और 1952 तक रामगढ़िया कॉलेज में पढ़ाई की। आर्य हाई स्कूल में उनके सहपाठी रहे वरिष्ठ एडवोकेट एस.एन. चोपड़ा ने पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया कि धर्मेंद्र में बचपन से ही एक खास चमक थी, लेकिन शोहरत की बुलंदी पर पहुंचने के बाद भी उनकी विनम्रता में कोई कमी नहीं आई। उनके दोस्त हरजीत सिंह परमार ने कहा कि धर्मेंद्र जब भी फगवाड़ा आते, तो वह एक दोस्त की तरह आते थे, न कि एक स्टार के रूप में। वह उनके साथ बैठकर पुरानी बातें करते और यादों में खो जाते थे।


धर्मेंद्र के निधन से फगवाड़ा में शोक की लहर


फगवाड़ा से जुड़ी धर्मेंद्र की यादों के किस्से बेहद दिलचस्प हैं। उनके दोस्तों ने बताया कि एक्टिंग की दुनिया में आने से पहले, उन्हें फगवाड़ा की कौमी सेवक रामलीला कमेटी ने रामलीला में एक रोल देने से मना कर दिया था। सुपरस्टार बनने के बाद, धर्मेंद्र अक्सर अपने दोस्तों को चिढ़ाते हुए पूछते थे कि 'क्या अब मुझे रामलीला में कोई रोल मिल सकता है?' साल 2006 में जब वे पुराने पैराडाइज थिएटर की जगह बने कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन करने आए थे, तब हजारों की भीड़ के सामने उन्होंने 'फगवाड़ा जिंदाबाद' का नारा लगाकर अपने शहर के प्रति प्यार का इजहार किया था। आज उनके जाने के बाद फगवाड़ा के हर उस शख्स की आंखें नम हैं, जिसने उन्हें करीब से देखा और जाना था।