धान की फसल को बाढ़ से बचाने के उपाय

धान की फसल: बाढ़ के पानी में डूबने पर क्या करें
धान के पौधों की जड़ों में पानी भरने से समस्या
मानसून की बारिश फसलों के लिए लाभकारी होती है, लेकिन कभी-कभी यह बाढ़ का कारण बन जाती है। हाल ही में पंजाब सहित कई राज्यों में आई बाढ़ ने धान की फसल को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। धान की फसल, जो खरीफ की मुख्य फसल है, पानी में डूबने पर 7 से 10 दिनों तक सुरक्षित रह सकती है। यदि समय पर पानी निकाला जाए और उचित प्रबंधन किया जाए, तो फसल को बचाया जा सकता है।
खेत से पानी की निकासी करें
बाढ़ के बाद सबसे पहले खेत में जमा पानी को निकालना आवश्यक है। पानी को जल्दी से बाहर निकालने के लिए नालियों का निर्माण करें और संभव हो तो पंप का उपयोग करें। जलभराव की स्थिति 24 से 48 घंटे से अधिक नहीं रहनी चाहिए।
पौधों की सफाई आवश्यक है
बाढ़ का पानी मिट्टी और गंदगी लाता है, जो पौधों की पत्तियों पर जम जाती है। यह पत्तियों के रंध्रों को बंद कर देती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होता है। यदि बारिश नहीं होती है, तो किसानों को साफ पानी का छिड़काव करना चाहिए ताकि पत्तियों पर जमी गंदगी हट सके।
पौधों को पोषक तत्व दें
बाढ़ के कारण मिट्टी से पोषक तत्व बह जाते हैं, विशेषकर नाइट्रोजन। नाइट्रोजन की कमी से पौधे पीले पड़ जाते हैं। इसलिए, फसल को तुरंत पोषक तत्व देना आवश्यक है।
फोलियर स्प्रे का प्रयोग करें
बाढ़ के पानी हटने के 6-7 दिन बाद, 2% यूरिया और 1% जिंक सल्फेट का पत्तियों पर छिड़काव करें। यह पौधों को तुरंत ऊर्जा प्रदान करेगा।
यूरिया का टॉप ड्रेसिंग करें
फोलियर स्प्रे के 3 दिन बाद, प्रति एकड़ 25-30 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें। यह जड़ों के माध्यम से पौधों को नाइट्रोजन की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।