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धान की फसल में सावधानी बरतें: बालियां निकलने लगी हैं

धान की फसल में बालियां निकलने लगी हैं, जिससे किसानों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इस दौरान फसल में रोग और कीटों का खतरा बढ़ जाता है। यदि देखभाल में लापरवाही की गई, तो पैदावार प्रभावित हो सकती है। जानें किन रोगों से बचें और फसल की सुरक्षा के लिए क्या उपाय करें।
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धान की फसल में सावधानी बरतें: बालियां निकलने लगी हैं

धान की फसल की देखभाल का महत्व


सावधानी न बरतने पर हो सकती है पैदावार प्रभावित


नई दिल्ली: खरीफ की मुख्य फसल धान में अब बालियां निकलने लगी हैं। इस समय पौधों में बालियां निकलने के साथ-साथ फसल में रोग और कीटों का खतरा भी बढ़ जाता है। यदि किसान इस दौरान फसल की देखभाल में लापरवाही करते हैं, तो उनकी पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, किसानों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।


फसल को प्रभावित करने वाले रोग

इस समय फसल में झुलसा, तना बेधक, गंधी कीट और फूदका का खतरा बढ़ जाता है। झुलसा रोग के कारण फसल की पत्तियां सूखने लगती हैं। यदि समय पर दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया, तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। धान की अगेती फसल में गंधी कीट, फुदका और तना छेदक का खतरा अधिक होता है।


गंधी कीट बालियां निकलते ही उनका रस चूसने लगते हैं, जिससे दाने बनने के बजाय बालियां सूखने लगती हैं। फुदका और तना छेदक भी बालियों को काटने लगते हैं, जिससे फसल की पैदावार प्रभावित होती है।


फसल की सुरक्षा के उपाय

इन रोगों की रोकथाम के लिए किसान फूल आने के तीन से चार दिन बाद मैलाथियान या फिप्रोनल का छिड़काव कर सकते हैं।


फूल निकलते समय किसी रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे फूल का परागण सही ढंग से नहीं हो पाता, जिससे उपज में कमी आती है। धान की फसल में मानक के अनुसार ही नाइट्रोजन का प्रयोग करें, क्योंकि अधिक मात्रा में प्रयोग करने से फसल गिरने का खतरा रहता है। इस समय फसल की निगरानी पर जोर देना आवश्यक है।


सिंचाई पर ध्यान दें

किसानों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बालियां निकलते समय खेत में पानी की कमी न होने दें, क्योंकि इससे बालियों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है। निराई के बाद यदि खेत में खर-पतवार रह गए हैं, तो उन्हें निकाल दें।


इस समय रासायनिक विधि का असर इन खर-पतवारों पर नहीं होगा। प्रारंभ में, यानी 30-35 दिनों तक रसायन के छिड़काव से खर-पतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है, लेकिन इस अवस्था में ऐसा संभव नहीं है।