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नई आयकर विधेयक: सरल और पारदर्शी कर प्रणाली की दिशा में एक कदम

लोकसभा ने हाल ही में 'आयकर (संख्या 2) विधेयक' को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को बदलकर इसे सरल और समझने योग्य बनाना है। यह विधेयक 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा और इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं, जैसे कि टैक्स रिफंड में राहत, TDS में ढील, और पेंशन पर छूट। जानें इस नए विधेयक के तहत क्या-क्या बदलाव किए गए हैं और इसका प्रभाव क्या होगा।
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नई आयकर विधेयक: सरल और पारदर्शी कर प्रणाली की दिशा में एक कदम

नई आयकर विधेयक का परिचय

नई आयकर विधेयक: लोकसभा ने सोमवार को बिना किसी विपक्षी बहस के 'आयकर (संख्या 2) विधेयक' को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को बदलकर इसे 'S.I.M.P.L.E' यानी सरल और समझने योग्य बनाना है। यह विधेयक 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में इसके प्रारंभिक मसौदे को पेश करते हुए S.I.M.P.L.E का अर्थ बताया था - Streamlined structure and language, Integrated and concise, Minimised litigation, Practical and transparent, Learn and adapt, और Efficient tax reforms।




विधेयक की पुरानी संरचना से तुलना

पहला मसौदा भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली चयन समिति को भेजा गया था, जिसने 285 सुझाव दिए, जिनमें से अधिकांश को स्वीकार किया गया। नया विधेयक पुरानी जटिल कर संरचना को लगभग 50% सरल बनाता है।


भाषा की स्पष्टता में सुधार

इस नए विधेयक में भाषा को सरल बनाने के साथ-साथ कटौतियों को स्पष्ट किया गया है। प्रावधानों में क्रॉस-रेफरेंस को मजबूत किया गया है और संपत्ति से आय के नियमों को स्पष्ट किया गया है। इसमें 'कैपिटल एसेट', 'माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज' तथा 'बेनीफिशियल ओनर' जैसे शब्दों की परिभाषाएं भी स्पष्ट की गई हैं। पेंशन योगदान और वैज्ञानिक अनुसंधान खर्च के कर उपचार में भी एकरूपता लाई गई है।


मुख्य बदलाव

टैक्स रिफंड में राहत: देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी रिफंड का दावा संभव होगा।


TDS में ढील: TDS की देर से फाइलिंग पर कोई वित्तीय जुर्माना नहीं होगा।


Nil-TDS सर्टिफिकेट: जिनकी कर देनदारी शून्य है, वे अग्रिम 'Nil Certificate' ले सकते हैं।


पेंशन पर छूट: कुछ विशेष पेंशन फंड से मिलने वाले कम्यूटेड पेंशन पर स्पष्ट कर छूट दी जाएगी।


इंटर-कार्पोरेट डिविडेंड कटौती: सेक्शन 80M के तहत फिर से बहाल किया गया है, ताकि डबल टैक्सेशन से बचा जा सके।


प्रॉपर्टी टैक्स नियम स्पष्ट: मकान किराये की वार्षिक मूल्यांकन पद्धति में बदलाव किया गया है, अब वास्तविक किराये के आधार पर कर लगेगा।


फ्रिंज बेनिफिट टैक्स में बदलाव

MSME की परिभाषा को MSME अधिनियम (2020) के अनुरूप किया गया है। 'टैक्स ईयर' की अवधारणा लागू होगी, जिसमें उसी वर्ष की आय पर उसी वर्ष कर देना होगा, जबकि अभी वित्त वर्ष और आकलन वर्ष अलग-अलग होते हैं। 'फ्रिंज बेनिफिट टैक्स' जैसे अप्रासंगिक प्रावधान हटा दिए गए हैं।


क्या नहीं बदला?

मौजूदा कर स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं होगा और अदालतों द्वारा परिभाषित प्रमुख शब्दावली वैसी ही रहेगी। इसके अलावा, सोमवार को 'कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025' भी पारित हुआ, जो सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड और उसकी सहायक कंपनियों को भारत में निवेश पर प्रत्यक्ष कर राहत प्रदान करता है।