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नए लेबर कोड का प्रभाव: कर्मचारियों की सैलरी में बदलाव

नए लेबर कोड 2025 के तहत कर्मचारियों की सैलरी संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं। नए नियमों के अनुसार, बेसिक सैलरी अब CTC का 50% होनी चाहिए, जिससे PF और ग्रेच्युटी में वृद्धि होगी। इससे कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी में कमी आएगी, जबकि लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स में वृद्धि होगी। जानें कि बोनस और इंसेंटिव के नियम कैसे बदलेंगे और लीव इनकैशमेंट पर क्या असर पड़ेगा।
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नए लेबर कोड का प्रभाव: कर्मचारियों की सैलरी में बदलाव

नए लेबर कोड का प्रभाव


नए लेबर कोड 2025: हाल ही में लागू हुए नए लेबर कोड का असर कर्मचारियों की सैलरी संरचना पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। नए नियमों के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी की बेसिक सैलरी अब उसके कुल CTC का 50% होनी चाहिए। जैसे-जैसे बेसिक सैलरी में वृद्धि होगी, PF और ग्रेच्युटी जैसे कटौतियों में भी वृद्धि होगी।


इसका परिणाम यह होगा कि कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी में कमी आएगी, जबकि लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स में वृद्धि होगी। सरकार का मानना है कि देशभर में समान सैलरी की परिभाषा से ग्रेच्युटी, पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभों की गणना में एकरूपता सुनिश्चित होगी।


बोनस और इंसेंटिव से जुड़े नियम

नए लेबर कोड के तहत, सैलरी में बेसिक वेतन, महंगाई भत्ता और रिटर्निंग भत्ता शामिल होंगे। यदि किसी कर्मचारी की सैलरी उसके CTC के 50% से कम होती है, तो कंपनियों को इसे 50% तक बढ़ाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, बोनस और इंसेंटिव से संबंधित नियम भी बदल सकते हैं।


विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई बोनस या इंसेंटिव नौकरी की शर्तों का हिस्सा है, तो इसे सैलरी का हिस्सा माना जाएगा। हालांकि, यदि बोनस केवल कंपनी की इच्छा से दिया जाता है, तो इसे सैलरी में शामिल नहीं किया जाएगा। इससे नियोक्ता अपने कर्मचारियों के सैलरी ढांचे को नए नियमों के अनुसार संतुलित कर सकेंगे।


लीव पेमेंट पर असर

लीव इनकैशमेंट (छुट्टी के बदले मिली रकम) पर भी नए नियमों का प्रभाव पड़ सकता है। यह आमतौर पर नौकरी छोड़ने पर दिया जाता है और इसे सैलरी से बाहर रखा जाएगा। लेकिन, यदि कोई कंपनी सालाना लीव इनकैशमेंट देती है, तो इसे सैलरी का हिस्सा माना जाएगा। इस विषय पर सरकार द्वारा आगे गाइडलाइंस जारी की जा सकती हैं।


नए लेबर कोड का असर कर्मचारियों की जेब पर भी पड़ेगा। PF, ग्रेच्युटी और लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स में वृद्धि होगी, जिससे अगले महीने की सैलरी में कमी आ सकती है। कंपनियां किसी कर्मचारी का CTC कम नहीं कर सकतीं, लेकिन वे खर्चों को संतुलित करने के लिए बोनस, इंसेंटिव और भत्तों को कम करने या बदलने का प्रयास कर सकती हैं।