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नक्सलियों का सामूहिक आत्मसमर्पण: तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजा पत्र

नक्सलियों ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र भेजकर सामूहिक आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के पीछे उनके पूर्व साथियों का प्रभाव है, जिन्होंने पहले आत्मसमर्पण किया। नक्सलियों का कहना है कि वे एकमुश्त सरेंडर करना चाहते हैं और इसके लिए सरकार से थोड़ा समय मांगा है। यदि यह प्रस्ताव सफल होता है, तो यह मध्य भारत में नक्सलवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम होगा। जानें इस प्रस्ताव के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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नक्सलियों का सामूहिक आत्मसमर्पण: तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजा पत्र

नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान

नई दिल्ली: देश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे सुरक्षाबलों के निर्णायक और आक्रामक अभियान के बीच एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक खबर सामने आई है। दशकों से हिंसा का पर्याय बने नक्सली अब हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का मन बना चुके हैं। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय 'स्पेशल जोनल कमेटी' (MMC जोन) के नक्सलियों ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक संयुक्त पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण (Surrender) करना चाहते हैं। यह पत्र महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साईं को संबोधित किया गया है।


नक्सलियों द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव के पीछे उनके पूर्व वरिष्ठ साथियों का प्रभाव मुख्य वजह मानी जा रही है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि वे अपने वरिष्ठ साथी भूपति (जिन्होंने महाराष्ट्र में सरेंडर किया) और सतीश (जिन्होंने छत्तीसगढ़ में सरेंडर किया) के नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं। अपने पुराने साथियों के पुनर्वास और मुख्यधारा में सुरक्षित जीवन को देखते हुए, एमएमसी जोन के बाकी नक्सलियों ने भी अब जंगल और बंदूक छोड़ने का फैसला किया है। यह प्रस्ताव सुरक्षा एजेंसियों और तीनों राज्यों की सरकारों के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि एमएमसी जोन नक्सलियों का एक बेहद मजबूत गढ़ माना जाता रहा है।


इस सरेंडर प्रस्ताव की सबसे अहम बात यह है कि नक्सली टुकड़ों में नहीं, बल्कि पूरे एमएमसी जोन के कैडर के साथ एकमुश्त सरेंडर करना चाहते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए उन्होंने सरकार से थोड़ा समय मांगा है। पत्र में नक्सलियों ने आपसी समन्वय और सभी साथियों से बातचीत (Communication) स्थापित करने के लिए 15 फरवरी 2026 तक की 'डेडलाइन' तय की है। उनका कहना है कि जंगल में बिखरे सभी साथियों को एक मंच पर लाने और सामूहिक निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए उन्हें इस तारीख तक का वक्त दिया जाए। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही हैं, क्योंकि यदि यह सामूहिक सरेंडर सफल होता है, तो यह मध्य भारत में नक्सलवाद की कमर तोड़ने जैसा होगा।