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निठारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरेंद्र कोली बरी

सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है, जिससे वह सभी आरोपों से मुक्त हो गया है। यह मामला 2005-2006 में देश को हिला देने वाला था और इस पर आधारित फिल्म 'सेक्टर 36' 2024 में रिलीज होने वाली है। कोर्ट ने कहा कि कोली के खिलाफ सबूत अपर्याप्त थे। जानें इस मामले की जटिलताओं और न्याय प्रक्रिया पर इसके प्रभाव के बारे में।
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निठारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरेंद्र कोली बरी

निठारी हत्याकांड 2006: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय


निठारी हत्याकांड 2006: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निठारी हत्याकांड से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया, जिसमें आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया गया है। इस निर्णय के साथ, कोली अब सभी आरोपों से मुक्त हो गया है। यह वही मामला है जिसने 2005-2006 में पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और इस पर आधारित फिल्म 'सेक्टर 36' 2024 में प्रदर्शित होने वाली है।


मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता को आरोपों से बरी किया जाता है। उसे तुरंत रिहा किया जाए।" यह निर्णय कोली द्वारा दायर क्यूरेटिव याचिका पर सुनाया गया, जिसमें उसने 2011 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसे 15 वर्षीय लड़की की हत्या का दोषी ठहराया गया था।


सुप्रीम कोर्ट का तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि कोली के खिलाफ सजा केवल एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी के आधार पर दी गई थी, जो संदेह से परे सबूत नहीं माने जा सकते। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि अपराध वास्तव में कोली ने किया था।


निठारी कांड दिसंबर 2006 में तब सामने आया जब नोएडा के निठारी गांव में कारोबारी मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे नाले से कई बच्चों के कंकाल बरामद हुए। इस भयानक खुलासे के बाद पुलिस ने पंधेर और उसके सहायक सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया।


सीबीआई ने मामले की जांच करते हुए कोली के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए, जिनमें हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत नष्ट करने के आरोप शामिल थे। पंधेर के खिलाफ भी एक मामला अनैतिक गतिविधियों से संबंधित दर्ज किया गया था।


दोष सिद्धि और सजा

2009 से 2017 के बीच कोली को 12 मामलों में दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। वहीं, 15 वर्षीय लड़की की हत्या के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोली को दोषी माना, लेकिन पंधेर को बरी कर दिया। कोली की अपील 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी, और 2014 में उसकी पुनर्विचार याचिका भी ठुकरा दी गई थी।


जानिए बाद की घटनाएं

2015 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया, यह कहते हुए कि उसकी दया याचिका पर निर्णय लेने में अत्यधिक देरी हुई। इसके बाद, हाई कोर्ट ने कोली को 12 मामलों में और पंधेर को दो मामलों में बरी कर दिया।


सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने इन बरी करने के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें दायर की थीं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई 2025 को खारिज कर दिया। अब, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम मामले में भी कोली को बरी किए जाने के बाद, उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।


निठारी कांड को देश के सबसे भयावह अपराधों में से एक माना जाता है। इस मामले ने न केवल कानून व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर किया, बल्कि मीडिया और समाज के विवेक को भी झकझोरा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद न्याय प्रक्रिया की जटिलता और सबूतों की अहमियत पर बहस फिर से तेज हो गई है।