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नीरव मोदी का प्रत्यर्पण मामला: सुनवाई 2026 तक स्थगित

भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। ब्रिटेन की उच्च न्यायालय ने उसकी अपील पर सुनवाई को मार्च 2026 तक स्थगित कर दिया है। भारत सरकार द्वारा दिए गए नए आश्वासनों के बाद यह निर्णय लिया गया। सुनवाई के दौरान नीरव मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जानें इस मामले के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
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नीरव मोदी का प्रत्यर्पण मामला: सुनवाई 2026 तक स्थगित

नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की सुनवाई में देरी

नई दिल्ली: भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण से संबंधित मामला एक बार फिर लंबा खिंच गया है। ब्रिटेन की उच्च न्यायालय ने उसकी प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील पर सुनवाई को मार्च 2026 तक के लिए स्थगित कर दिया है। यह निर्णय भारत सरकार द्वारा नीरव मोदी की हिरासत और जेल में रखने की परिस्थितियों पर दिए गए नए आश्वासनों के बाद आया है।


सुनवाई का विवरण

लंदन के रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस में हुई सुनवाई के दौरान, लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे की पीठ ने कहा कि यह मामला पहले की सुनवाइयों की याद दिलाता है, क्योंकि नीरव मोदी पहले भी प्रत्यर्पण रोकने की कोशिश कर चुका है। अदालत ने भारत सरकार द्वारा पेश किए गए ठोस और भरोसेमंद आश्वासनों पर विचार करने का निर्णय लिया।


भारत सरकार की दलीलें

क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने दलील दी कि नीरव मोदी की मौजूदा याचिका एक अलग कानूनी प्रक्रिया के समाप्त होने के तुरंत बाद दायर की गई है। सुनवाई के दौरान यह संकेत मिला कि यह प्रक्रिया, जो संभावित शरण आवेदन से जुड़ी थी, संभवतः अगस्त में ही खारिज हो चुकी थी।


अगले कदम

हाई कोर्ट ने स्पष्ट समय-सीमा तय की है, जिसके अनुसार फरवरी 2026 के मध्य तक दोनों पक्षों को अपनी लिखित दलीलें प्रस्तुत करनी होंगी। इसके बाद मार्च या अप्रैल 2026 में दो दिन की सुनवाई होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि अपील को दोबारा खोलने की अनुमति दी जाए या नहीं। यदि नीरव मोदी को अनुमति नहीं मिलती है, तो उसके भारत प्रत्यर्पण का रास्ता बिना किसी देरी के खुल जाएगा।


नीरव मोदी की उपस्थिति

54 वर्षीय नीरव मोदी ने उत्तर लंदन की पेंटनविल जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी दी और कार्यवाही के दौरान नोट्स बनाते हुए नजर आया। इस मामले की सुनवाई के लिए भारत से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के चार वरिष्ठ अधिकारी भी लंदन में मौजूद थे।


वकीलों का तर्क

नीरव मोदी के वकीलों ने अपने बचाव में रक्षा सलाहकार संजय भंडारी के प्रत्यर्पण मामले का हवाला दिया, जिसे मानवाधिकार के आधार पर राहत मिली थी। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इस तुलना का विरोध करते हुए कहा कि भंडारी का मामला नीरव मोदी के केस से अलग है, क्योंकि भारत सरकार पहले ही आवश्यक आश्वासन दे चुकी है।


नीरव मोदी का इतिहास

यह ध्यान देने योग्य है कि नीरव मोदी मार्च 2019 से ब्रिटेन की हिरासत में है। उस पर पंजाब नेशनल बैंक से लगभग 2 अरब डॉलर की धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप हैं। अप्रैल 2021 में तत्कालीन ब्रिटिश गृह मंत्री प्रीति पटेल ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, लेकिन तब से वह कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत लौटने से बचने की कोशिश कर रहा है।