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नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की, युवा आंदोलन का असर

नेपाल में सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है, जो कि देश की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। 13 से 28 वर्ष के युवा प्रदर्शनकारियों ने तख्तापलट किया और कार्की को नेता चुना। राष्ट्रपति ने उन्हें शपथ दिलाई, जबकि संसद को भंग कर दिया गया। जानें इस राजनीतिक बदलाव के पीछे की कहानी और कैसे युवा आंदोलन ने इस परिवर्तन को संभव बनाया।
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नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की, युवा आंदोलन का असर

नेपाल में नया राजनीतिक बदलाव

काठमांडू। नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। 13 से 28 वर्ष के युवा प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन के माध्यम से तख्तापलट किया और 73 वर्षीय कार्की को नेता के रूप में चुना। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार रात लगभग नौ बजे उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। इससे पहले, नेपाल की संसद को भंग कर दिया गया था। अब नए चुनावों का आयोजन अंतरिम सरकार के तहत किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि युवा प्रदर्शनकारियों में से कोई भी सरकार में शामिल नहीं हुआ।


संसद भंग करने पर सहमति

युवाओं के नेताओं के बीच कई नामों पर चर्चा हुई थी, जिसमें राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के साथ वार्ता भी शामिल थी। संसद भंग करने का मुद्दा सबसे जटिल था। अंततः, सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने और संसद भंग करने पर सहमति बनी। यह घटनाक्रम तब हुआ जब पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया।


सुशीला कार्की का समर्थन

गुरुवार को, कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की का विरोध किया, उन्हें भारत समर्थक बताकर। लेकिन काठमांडू के मेयर बालेन शाह के समर्थन के बाद, उनके नाम पर सहमति बनी। शपथ लेने के बाद, कार्की ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक की। पहले कुलमान घीसिंग को प्रधानमंत्री के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद भंग करने का विरोध किया।


सुशीला कार्की की पृष्ठभूमि

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं और उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर कई बार अपनी राय व्यक्त की है, जिससे वे युवाओं के बीच लोकप्रिय हुईं। उल्लेखनीय है कि नेपाल में 9 सितंबर को युवा प्रदर्शनकारियों ने तख्तापलट किया था, जिसमें संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री ओली के निजी आवासों सहित कई स्थानों पर आगजनी की गई थी। इस हिंसा में 51 लोगों की जान गई और एक हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं।