नेपाल की राजनीति में नया मोड़: सुशीला कार्की बनेंगी पहली महिला प्रधानमंत्री

नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की ओर कदम
Nepal politics: नेपाल में लंबे समय से चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अब स्थिति में सुधार होता दिखाई दे रहा है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल के बीच गहन चर्चा के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने पर सहमति बनी है। वह शुक्रवार रात को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगी। यह निर्णय तब लिया गया है जब राजनीतिक दलों के बीच नई सरकार के गठन को लेकर विवाद जारी था।
प्रधानमंत्री पद के लिए कई नामों पर चर्चा
प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में कई अन्य नाम भी शामिल थे। काठमांडू के मेयर बालेन शाह का नाम पहले आया, लेकिन उन्होंने खुद को इस दौड़ से बाहर कर लिया और सुशीला कार्की का समर्थन किया। इसके अतिरिक्त, नेपाल बिजली प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग का नाम भी चर्चा में रहा। अंततः, लंबे विचार-विमर्श के बाद सुशीला कार्की को देश के शीर्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनकी नियुक्ति पर देशभर में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे नेपाल की राजनीति में स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं।
सुशीला कार्की: नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश
सुशीला कार्की 2016-17 तक नेपाल की पहली और अब तक की एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने न्यायपालिका में पारदर्शिता और महिला अधिकारों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। न्यायिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं। रिटायरमेंट के बाद भी वे सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं।
भारत से गहरा संबंध
सुशीला कार्की का भारत से विशेष संबंध रहा है। उन्होंने 1975 में वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। इससे पहले, 1972 में महेंद्र मोरंग कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। भारतीय शिक्षा संस्थानों से मिली शिक्षा ने उनके राजनीतिक विचारों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पीएम मोदी की प्रशंसा
कार्की ने कई बार भारतीय नेताओं से प्रभावित होने की बात कही है। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा, “मैं मोदी जी को नमस्कार करती हूं। भारतीय नेता मुझे हमेशा बहन की तरह मानते हैं और उनका स्नेह मुझे प्रेरित करता है।” उनकी यह टिप्पणी भारत-नेपाल संबंधों में सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
वकालत से राजनीति तक का सफर
7 जून 1952 को नेपाल-भारत सीमा के पास विराटनगर में जन्मी सुशीला कार्की सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने 1979 में वकालत से अपने करियर की शुरुआत की और 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं। जनवरी 2009 में वे नेपाल सुप्रीम कोर्ट की तदर्थ न्यायाधीश बनीं और 2010 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुईं। 2017 में मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उन पर पक्षपात के आरोप लगे और महाभियोग चलाने की कोशिश भी हुई, लेकिन उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।