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नेपाल की राजनीतिक उथल-पुथल का बिहार पर असर: सीमावर्ती जिलों में आर्थिक संकट

नेपाल में चल रही राजनीतिक अस्थिरता का बिहार के सीमावर्ती जिलों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। व्यापार ठप होने से स्थानीय लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। रक्सौल जैसे व्यापारिक केंद्रों में ग्राहकों की कमी हो गई है, जिससे दुकानदारों की बिक्री में भारी गिरावट आई है। पारिवारिक रिश्ते भी प्रभावित हुए हैं, और स्थानीय लोग सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं। क्या यह स्थिति आगामी विधानसभा चुनावों पर असर डालेगी? जानिए इस लेख में।
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नेपाल की राजनीतिक उथल-पुथल का बिहार पर असर: सीमावर्ती जिलों में आर्थिक संकट

बिहार के सीमावर्ती जिलों पर प्रभाव

नेपाल में चल रही राजनीतिक अस्थिरता का सीधा प्रभाव भारत के बिहार राज्य के सात सीमावर्ती जिलों पर पड़ा है। नेपाल में अराजकता और कड़ी सुरक्षा के कारण सीमा पार आवाजाही रुक गई है, जिससे इन क्षेत्रों में व्यापार ठप हो गया है और स्थानीय निवासियों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।


सात सीमावर्ती जिले

बिहार के पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिले नेपाल की सीमा से जुड़े हुए हैं। इन जिलों में कुल 21 विधानसभा सीटें हैं:


1. पश्चिम चंपारण: वाल्मीकिनगर, रामनगर, सिकटा


2. पूर्वी चंपारण: रक्सौल, नरकटिया, ढाका


3. सीतामढ़ी: रीगा, बथनाहा, परिहार, सुरसंड


4. मधुबनी: हरलाखी, खजौली, बाबू बरही, लौकहा


5. सुपौल: निर्मली, छातापुर


6. अररिया: नरपतगंज, फारबिसगंज, सिकटी


7. किशनगंज: बहादुरगंज, ठाकुरगंज


पिछले विधानसभा चुनाव में इन 21 सीटों में से 11 पर भाजपा, 5 पर जदयू, 3 पर राजद, 1 पर भाकपा-माले और 1 पर एआईएमआईएम ने जीत हासिल की थी। भाजपा ने यहां कोई सीट नहीं हारी थी, जिससे यह क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है।


रक्सौल का व्यापार ठप

पूर्वी चंपारण का रक्सौल शहर नेपाल सीमा से सटा एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। यहां आमतौर पर हजारों नेपाली नागरिक कपड़े, किराना और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए आते हैं। लेकिन नेपाल में हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण सीमा पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई है, जिससे नेपाली ग्राहकों का आना लगभग बंद हो गया है।


रक्सौल में कपड़ों की दुकान चलाने वाले अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि पहले उनका दैनिक कारोबार लगभग 40,000 रुपये था, लेकिन अब पिछले पांच दिनों से दुकान में मुश्किल से 1,000 रुपये की बिक्री हो रही है। उनका कहना है कि दुर्गा पूजा के समय करोड़ों रुपये की बिक्री होती थी, जो अब ठप हो गई है।


पारिवारिक रिश्तों पर असर

सीमा पार व्यापार के साथ-साथ पारिवारिक रिश्ते भी प्रभावित हुए हैं। मोतिहारी के अनिल सिंह का भाई नेपाल में रहता है। वे अक्सर नेपाल आते-जाते थे, लेकिन अब परिवार ने निर्णय लिया है कि वे अपने बेटे को वापस बुला लेंगे। उनका कहना है कि यदि सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराए, तो लोग सुरक्षित रह सकेंगे।


क्या इसका असर चुनावों पर होगा?

स्थानीय लोगों का मानना है कि नेपाल की घटनाओं का बिहार विधानसभा चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं है। व्यापारी अशोक श्रीवास्तव ने कहा, “हम सरकार से मदद जरूर चाहते हैं, लेकिन नाराज नहीं हैं।”


राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा पर ध्यान दे रही है और आवश्यकता पड़ने पर व्यापारियों को सहायता दी जाएगी। वहीं, राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि सरकार को प्रभावित व्यापारियों और नेपाल से आने वाले लोगों को रोजगार और सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए।