नेपाल में Gen-Z आंदोलन के प्रभाव और न्यायिक दस्तावेजों का नुकसान

नेपाल के न्यायालय का बयान
नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में छात्रों के नेतृत्व में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान महत्वपूर्ण न्यायिक दस्तावेजों के लगभग नष्ट होने की जानकारी दी है। हालांकि, न्यायालय ने कामकाज को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया है। मुख्य न्यायाधीश प्रकाशमान सिंह राउत ने कहा कि हम न्याय के मार्ग पर अडिग रहेंगे। उन्होंने देशभर में फैले Gen-Z आंदोलन के दौरान अदालतों को हुए नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया।
Gen-Z आंदोलन का प्रभाव
मुख्य न्यायाधीश राउत ने Gen-Z आंदोलन के दौरान अदालत भवनों में आगजनी, पथराव और लूटपाट से हुए नुकसान पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि इस हिंसा में नेपाल के न्यायिक इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज लगभग नष्ट हो गए हैं। राउत ने हिंसा में मारे गए नागरिकों के प्रति शोक व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। नेपाल पुलिस के अनुसार, इन प्रदर्शनों में कम से कम 51 लोग मारे गए, जिनमें एक भारतीय नागरिक भी शामिल है।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का असर
सोमवार को सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन जल्द ही भ्रष्टाचार और राजनीतिक उदासीनता के खिलाफ बड़े पैमाने पर बदल गया। हालांकि, सोमवार रात को सोशल मीडिया बैन हटा लिया गया, लेकिन हिंसा जारी रही। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने संसद, राष्ट्रपति कार्यालय, और अन्य सरकारी भवनों को आग के हवाले कर दिया। यह आंदोलन केपी शर्मा ओली सरकार के पतन का कारण बना।
सुशीला कार्की का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण
शुक्रवार रात, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली, जिसने कई दिनों की राजनीतिक अनिश्चितता को समाप्त किया।