Newzfatafatlogo

नेपाल में कर्फ्यू हटने के बाद सामान्य जीवन की वापसी

नेपाल प्रशासन ने काठमांडू घाटी और अन्य क्षेत्रों में कर्फ्यू हटाने का निर्णय लिया है, जिससे दैनिक जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। यह घटनाक्रम पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ है। ओली सरकार के इस्तीफे के बाद, आम चुनाव की घोषणा भी की गई है। जानें इस राजनीतिक बदलाव के पीछे की पूरी कहानी और नेपाल में हो रहे जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के बारे में।
 | 
नेपाल में कर्फ्यू हटने के बाद सामान्य जीवन की वापसी

कर्फ्यू हटने से सामान्य जीवन की शुरुआत

नेपाल प्रशासन ने 13 सितंबर, 2025 को काठमांडू घाटी और अन्य क्षेत्रों में लागू कर्फ्यू और प्रतिबंधात्मक आदेशों को समाप्त कर दिया है, जिससे दैनिक जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। यह घटनाक्रम पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के शुक्रवार को नेपाल की अंतरिम सरकार की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने के एक दिन बाद हुआ है। इस प्रकार, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के कारण देशव्यापी आंदोलन के चलते के.पी. शर्मा ओली की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता का अंत हुआ।


दैनिक जीवन में सुधार

नेपाल सेना के प्रवक्ता के अनुसार, शनिवार को कोई कर्फ्यू या आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं होने के कारण, सामान्य जीवन फिर से शुरू हो गया है। कई दिनों तक बंद रहने के बाद, दुकानें, बाजार और मॉल फिर से खुल गए हैं और सड़कों पर वाहन भी दिखाई देने लगे हैं। कई स्थानों पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सरकारी इमारतें भी शामिल हैं, जिन्हें अशांति के दौरान नुकसान पहुंचा था।


आम चुनाव की घोषणा

अंतरिम सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 5 मार्च, 2026 से पहले आम चुनाव आयोजित किए जाएंगे। यह निर्णय स्थिरता और जनता का विश्वास बहाल करने के उद्देश्य से आंतरिक राजनीतिक वार्ता के बाद लिया गया है।


भारतीय राजदूत की सुशीला कार्की से मुलाकात

राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद, नेपाल में भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव, नवनियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की से मिलने वाले पहले विदेशी राजनयिक बने। इस मुलाकात के दौरान, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बधाई संदेश दिया और नेपाल को इस संक्रमण काल में भारत के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।


जेन-जेड विरोध प्रदर्शन

नेपाल पुलिस के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में युवाओं के नेतृत्व में हुए "जेन-जेड" विरोध प्रदर्शनों में एक भारतीय नागरिक सहित कम से कम 51 लोग मारे गए। ओली के इस्तीफे के बाद, नेपाली सेना ने आंतरिक सुरक्षा का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और काठमांडू घाटी तथा अन्य क्षेत्रों में सीमित आवाजाही के आदेश लागू कर दिए।