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नेपाल में जनरेशन जेड का विरोध: भारत-नेपाल व्यापार पर गंभीर असर

नेपाल में जनरेशन जेड के विरोध ने हालात को तनावपूर्ण बना दिया है, जिससे भारत-नेपाल के बीच व्यापारिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ा है। बॉर्डर सील होने और सड़कों पर आगजनी के चलते व्यापार ठप हो गया है। इस स्थिति का विश्लेषण करते हुए, जानें कि कैसे यह हिंसा दोनों देशों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बन रही है। क्या नेपाल में स्थिति जल्द सामान्य होगी? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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नेपाल में जनरेशन जेड का विरोध: भारत-नेपाल व्यापार पर गंभीर असर

नेपाल में हालात तनावपूर्ण, बॉर्डर सील

नेपाल में जनरेशन जेड का विरोध: नेपाल में हालात हिंसा के बाद बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। यहां की सीमाएं बंद हैं और सड़कों पर आगजनी के कारण मुख्य हाईवे भी अवरुद्ध हो गए हैं। इस हिंसा के चलते नेपाल का भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है। उल्लेखनीय है कि भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक संबंध लगभग 75 वर्षों से चल रहे हैं।


भारत-नेपाल के बीच व्यापारिक संबंध

1950 में दोनों देशों के बीच एक शांति और मित्रता संधि हुई थी, जिसके बाद से आयात-निर्यात के रास्ते खोले गए थे। भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों देशों के बीच हर साल लगभग 75,000 करोड़ रुपये का व्यापार होता है।


नेपाल का भारत से आयात

नेपाल भारत से कितना करता है आयात?


एक रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के कुल आयात का लगभग 60% भारत से आता है। नेपाल भारत से दवाइयां, पेट्रोलियम उत्पाद, स्टील, वाहन, मशीनरी, कृषि उत्पाद, सीमेंट और खाद्य सामग्री का आयात करता है।


भारत-नेपाल व्यापार का नुकसान

भारत-नेपाल के बीच क्या और कितना अदान-प्रदान?


भारत नेपाल को मोटर वाहन और उनके पुर्जे (8 प्रतिशत), दवाइयां (4 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (28 प्रतिशत), लोहे की छड़ें (7 प्रतिशत) और मशीनरी (3 प्रतिशत) निर्यात करता है। वहीं, नेपाल भारत को जूट उत्पाद (9 प्रतिशत), धागे (8 प्रतिशत), जिंक शीट (9 प्रतिशत), वस्त्र (9 प्रतिशत), पॉलिएस्टर यार्न (6 प्रतिशत), जूस (5 प्रतिशत), कत्था (4 प्रतिशत), इलायची (4 प्रतिशत), तार (4 प्रतिशत) आदि भेजता है। इसके अलावा, नेपाल भारत को सोयाबीन तेल का री-एक्सपोर्ट करता है और बिजली भी निर्यात करता है।


हिंसा के बाद व्यापार में गिरावट

भारत-नेपाल व्यापार को झटका, दोनों देशों को करोड़ों का नुकसान


विश्लेषकों का मानना है कि यदि नेपाल में स्थिति अगले 7-8 दिन तक इसी तरह बनी रहती है, तो नुकसान करोड़ों रुपये में पहुंच सकता है। नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद युवा सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ा और हिंसा में आगजनी और तोड़फोड़ के चलते अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है।


बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाई गई

मुख्य बॉर्डर बंद, SSB हाई अलर्ट पर


हिंसा के बाद भारत-नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (SSB) को हाई अलर्ट पर रखा गया है। नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित तरीके से बॉर्डर तक लाया जा रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार मुख्य रूप से सड़क मार्ग से होता है, लेकिन हिंसा के कारण काकरवीटा-पनितांकी, रक्सौल-बीरगंज, सुनौली-भैरहवा और नेपालगंज-रूपईडीहिा समेत अन्य बॉर्डर बंद हैं।