Newzfatafatlogo

नेपाल में जेन-ज़ी के विरोध पर मनीषा कोइराला की प्रतिक्रिया

नेपाल में जेन-ज़ी के युवा सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। मनीषा कोइराला ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसे उन्होंने 'काला दिन' कहा। उनके शब्दों ने हजारों लोगों को एकजुट किया और सरकार से जवाबदेही की मांग की। जानें इस विरोध के पीछे की कहानी और मनीषा का नेपाल से जुड़ाव।
 | 
नेपाल में जेन-ज़ी के विरोध पर मनीषा कोइराला की प्रतिक्रिया

नेपाल में युवा विरोध प्रदर्शनों का उभार


नेपाल में युवा वर्ग ने सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अचानक प्रतिबंध लगाने के खिलाफ आवाज उठाई है। व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ट्विटर जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के कारण देशभर में भारी आक्रोश फैल गया है। इस विरोध के दौरान युवाओं की आज़ादी पर हमले के खिलाफ विद्रोह की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। बॉलीवुड अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता और गुस्सा व्यक्त किया है।


मनीषा कोइराला का बयान

मनीषा कोइराला ने इसे 'काला दिन' कहा




 












View this post on Instagram
























 


A post shared by Manisha Koirala (@m_koirala)






अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम पर एक भयावह विरोध प्रदर्शन की तस्वीर साझा की, जिसमें एक खून से लथपथ जूता जमीन पर पड़ा हुआ था। उन्होंने लिखा, 'आज नेपाल के लिए एक काला दिन है। लोगों की आवाज़, भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके गुस्से और न्याय की उनकी मांग का जवाब गोलियों से दिया गया।' उनके शब्दों ने ऑनलाइन गहरी गूंज पैदा की, जिससे हजारों लोग उनके साथ खड़े हुए और नेपाल सरकार से जवाबदेही की मांग की।


मनीषा का नेपाल से गहरा संबंध

मनीषा का नेपाल से गहरा जुड़ाव


मनीषा कोइराला का जन्म नेपाल के विराटनगर में एक राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता, प्रकाश कोइराला, नेपाल सरकार में मंत्री रहे हैं, और उनकी दादी देश की पहली महिला मंत्री थीं। कोइराला परिवार का नेपाल के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है, जिससे मनीषा के शब्दों का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।


सरकार ने विरोध के आगे झुकने का किया फैसला

सरकार को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा


विरोध प्रदर्शनों की तीव्रता के कारण नेपाल सरकार को अंततः अपने निर्णय को वापस लेना पड़ा। अब व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स और 26 अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध हटा लिया गया है। हालांकि, इस फैसले की भारी कीमत चुकानी पड़ी है—रिपोर्टों के अनुसार, हिंसक झड़पों में लगभग 20 युवा प्रदर्शनकारियों की जान चली गई।


सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का प्रभाव

वह प्रतिबंध जिसने तूफ़ान खड़ा कर दिया


4 सितंबर को, सरकार ने 30 से अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य गलत सूचनाओं और अफवाहों पर नियंत्रण करना था। लेकिन इस कदम ने हाल के वर्षों में युवाओं के नेतृत्व में सबसे बड़े विद्रोहों में से एक को जन्म दिया। इस दमनकारी नीति ने न केवल संचार को बाधित किया, बल्कि नेपाल में स्वतंत्रता, अधिकारों और लोकतंत्र पर बहस को भी बढ़ावा दिया।