नेपाल में जेनरेशन-ज़ी का विरोध: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उग्र प्रदर्शन

जेनरेशन-ज़ी का विरोध
जेनरेशन-ज़ी का विरोध: नेपाल सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध के खिलाफ युवा वर्ग सड़कों पर उतर आया है। काठमांडू में सोमवार को हुए प्रदर्शनों ने तब उग्र रूप ले लिया जब हजारों युवाओं ने संसद भवन का घेराव किया और बैरिकेड्स को तोड़ दिया।
प्रदर्शन के दौरान कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें यह स्पष्ट है कि प्रदर्शनकारियों का गुस्सा पुलिस पर भारी पड़ा, जिसके चलते स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।
संसद गेट पर हंगामा
संसद गेट पर हंगामा
वीडियो में देखा जा सकता है कि गुस्साए प्रदर्शनकारी संसद के मुख्य गेट पर चढ़ गए और वहां तोड़फोड़ की। हाथों में झंडे लिए युवा बैरिकेड्स पर चढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। सुरक्षाबल प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन भीड़ की संख्या इतनी अधिक है कि हालात बेकाबू हो गए हैं। संसद परिसर के बाहर 'भ्रष्टाचार खत्म करो' और 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' जैसे नारे गूंजते सुनाई देते हैं।
प्रदर्शकारियों और पुलिस में भिड़ंत
प्रदर्शकारियों और पुलिस में भिड़ंत
वीडियो में यह भी साफ दिख रहा है कि पुलिस आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल कर रही है। दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी पत्थरबाजी कर रहे हैं और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। झड़पों में कई युवा घायल हुए हैं और पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं।
सड़कों पर सेना की तैनाती
सड़कों पर सेना की तैनाती
स्थिति बिगड़ने पर सरकार ने सेना को सड़कों पर उतारने का निर्णय लिया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सैन्य वाहन काठमांडू की सड़कों पर गश्त करते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन ने राजधानी के कई क्षेत्रों में कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लागू की हैं ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। सरकार का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है। वहीं, युवाओं का आरोप है कि यह उनकी आवाज को दबाने की कोशिश है।
युवाओं का गुस्सा और सरकार की दलील
युवाओं का गुस्सा और सरकार की दलील
प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध केवल एक बहाना है, असली लड़ाई भ्रष्टाचार और सरकारी तानाशाही के खिलाफ है। उनका कहना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म उनकी अभिव्यक्ति और आजीविका का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
वहीं, सरकार का तर्क है कि सभी कंपनियों को नेपाल में रजिस्ट्रेशन कराना होगा ताकि साइबर अपराधों और फेक न्यूज पर नियंत्रण किया जा सके। हालांकि, टिक-टॉक अब भी सक्रिय है और वहां पर लगातार ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें नेताओं के बच्चों की आलीशान जिंदगी की तुलना आम जनता की समस्याओं से की जा रही है।