नेपाल में पीएम ओली का इस्तीफा, प्रदर्शनकारियों का उग्र विरोध
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किए। काठमांडू में हिंसा भड़क गई है, जिसमें कई राजनीतिक नेताओं के घरों पर हमले हुए हैं। भारत ने इस स्थिति को लेकर चिंता जताई है और अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। जानें इस संकट की पूरी कहानी और इसके ऐतिहासिक संदर्भ के बारे में।
Sep 10, 2025, 18:22 IST
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नेपाल में राजनीतिक संकट
नेपाल में सरकार के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बीच, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। काठमांडू के विभिन्न क्षेत्रों में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और अन्य प्रमुख राजनीतिक नेताओं के निवास पर हमले किए। संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट में भी तोड़फोड़ की गई। राष्ट्रपति ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की और संकट के समाधान के लिए बातचीत की आवश्यकता जताई। नेपाल की सेना ने भी शांति की अपील की। ओली के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, प्रदर्शनकारियों ने बालकोट में उनके निवास में आग लगा दी। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड', संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के घरों पर भी हमले हुए। काठमांडू में पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के निवास पर भी तोड़फोड़ की गई। नेपाल में बढ़ती हिंसा ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। भारत, जो नेपाल का पड़ोसी है, इस स्थिति को लेकर चिंतित है और उसने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत सरकार इस मामले पर करीबी नजर रख रही है। नेपाल भारत का पड़ोसी राज्य है, और वहां की अराजकता ने भारत को भी चिंतित कर दिया है। आपको पता है कि नेपाल आज भारत का हिस्सा होता, अगर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह का प्रस्ताव स्वीकार कर लेते।
नेपाल का ऐतिहासिक संदर्भ
नेपाल की कहानी इतिहास की जुबानी
कहा जाता है कि इंसान गलतियों का पुतला है, लेकिन एक सफल व्यक्ति वही है जो अपनी गलतियों से सीखता है और उन्हें सुधारता है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कई गलतियां की हैं। इतिहास में नेहरू पर कई बार निशाना साधा गया है, चाहे वह कश्मीर नीति हो या विदेशी नीति। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए चीन का समर्थन किया और तिब्बत पर चीन के कब्जे का समर्थन किया। कभी-कभी नेहरू हिंदी-चीनी भाई-भाई के जाल में फंस गए, तो कभी शेख अब्दुल्ला पर भरोसा करना भारी पड़ा। इतिहास के आईने में देखा जाए तो सामाजिक परिदृश्यों की चाह में देश टूटते रहे हैं। भारत से पाकिस्तान बना और फिर पाकिस्तान से बांग्लादेश। लेकिन आज की कहानी दो देशों के मिलने की मंशा और इससे होने वाले लाभ-हानि की है।
प्रणब मुखर्जी का खुलासा
प्रणब मुखर्जी ने राजा त्रिभुवन के ऑफर, नेहरू के बारे में क्या लिखा है?
भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' में एक महत्वपूर्ण खुलासा किया था। उनके अनुसार, नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम सिंह ने नेपाल को भारत का प्रांत बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे ठुकरा दिया। मुखर्जी की किताब में बताया गया है कि नेहरू ने कहा था कि नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है और इसे स्वतंत्र रहना चाहिए। उन्होंने नेपाल के साथ संबंधों को कूटनीतिक रखा। मुखर्जी ने लिखा है कि अगर नेहरू की जगह इंदिरा गांधी होतीं, तो शायद इस मौके को हाथ से नहीं जाने देतीं।
नेपाल का सामरिक महत्व
अगर भारत में होता नेपाल तो...
सामरिक दृष्टि से नेपाल भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चीन अक्सर भारत पर दबाव बनाने के लिए नेपाल पर अपनी पकड़ मजबूत करता है। यदि नेपाल भारत का हिस्सा होता, तो ऐसी स्थिति कभी नहीं आती। इसके अलावा, चीन के खिलाफ एक मजबूत सामरिक स्थिति भी मिलती।