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नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों का उभार, क्या तख्तापलट की तैयारी है?

नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों का उभार एक नई राजनीतिक उथल-पुथल का संकेत दे रहा है। जब से सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया है, तब से युवा सड़कों पर उतर आए हैं। क्या नेपाल में तख्तापलट की तैयारी हो रही है? जानें इस स्थिति के पीछे की वजहें और अन्य देशों में हुई तख्तापलट की घटनाओं के संदर्भ में क्या हो रहा है।
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नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों का उभार, क्या तख्तापलट की तैयारी है?

नेपाल में उथल-पुथल का माहौल

जब जो बाइडेन सत्ता में थे, तब कई देशों में तख्तापलट की घटनाएं हुईं। अब ट्रंप के कार्यकाल में भी ऐसा लगता है कि जिन देशों ने उनकी बात नहीं मानी, वहां भी तख्तापलट की संभावनाएं बढ़ रही हैं। नेपाल में इस समय ऐसा ही दृश्य देखने को मिल रहा है। प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हुए हैं, हंगामा कर रहे हैं और संसद भवन में घुसने की योजना बना रहे हैं। हाल के दिनों में, नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर लोगों ने सड़कों पर उतरना शुरू किया, जिसके बाद से स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई है। जब नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया, तो युवा फिर से सड़कों पर आ गए।


तख्तापलट की स्क्रिप्ट

जहां-जहां तख्तापलट की घटनाएं हुईं, वहां युवाओं को मोहरा बनाया गया। बांग्लादेश में भी छात्रों के आंदोलन को इसी तरह से भड़काया गया था। जिन छात्रों ने हसीना को सत्ता से बेदखल किया, वे अब साइडलाइन कर दिए गए हैं। अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ, जिसमें नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया। 90 दिनों में चुनाव होना था, लेकिन वे पिछले 13 महीनों से पीएम बने हुए हैं।


श्रीलंका का उदाहरण

श्रीलंका में भी युवाओं ने राजपक्षे की सत्ता को उखाड़ फेंका। जपक्षे परिवार की पार्टी को समाप्त कर दिया गया और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए। 23 सितंबर 2024 को अनुरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति बने और उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और पांच पूर्व मंत्रियों को भ्रष्टाचार के मामलों में सजा सुनाई गई।


नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों की आवाज

नेपाल में 18 से 25 साल के युवा सड़कों पर हैं, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। काठमांडू के सोतमिराज धुंगाना ने एक पोस्ट में लिखा कि सरकार उनकी आवाज को दबाना चाहती है। एक अन्य नेपाली यूजर ने कहा कि राजनीतिक परिवारों के बच्चे महंगी जिंदगी जीते हैं, जबकि आम जनता को टैक्स के पैसे से यह सब मिलता है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिससे उसके दोस्त को चोट लगी।


चीन और श्रीलंका का संबंध

श्रीलंका का चीन के करीब जाना और हंबनटोटा पर बीजिंग की मौजूदगी ने भारत के लिए चिंता बढ़ा दी है। भारत ने चीन और श्रीलंका को उचित जवाब दिया और कोलंबो को मदद भी पहुंचाई। अमेरिका का भी श्रीलंका संकट में बड़ा रोल है। एशिया में जो भी चीन के करीब जाता है, उसे अमेरिका द्वारा पसंद नहीं किया जाता। बांग्लादेश भी इसी दिशा में बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप वहां भी तख्तापलट की स्थिति बन गई।