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नेपाल में राजनीतिक संकट पर संजय राउत की चेतावनी

शिवसेना के नेता संजय राउत ने नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट पर चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति भारत में भी उत्पन्न हो सकती है। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद हालात बिगड़ गए हैं, जिससे हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। राउत की टिप्पणी ने भारत में राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है, जिसमें समर्थक और आलोचक दोनों की प्रतिक्रियाएँ शामिल हैं।
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नेपाल में राजनीतिक संकट पर संजय राउत की चेतावनी

नेपाल में उथल-पुथल पर राउत की प्रतिक्रिया

नेपाल में प्रदर्शन: शिवसेना (यूबीटी) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने नेपाल में चल रही राजनीतिक अस्थिरता पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद उत्पन्न स्थिति को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है। राउत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर काठमांडू में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों और आगजनी का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, "नेपाल में आज... ऐसी स्थिति किसी भी देश में उत्पन्न हो सकती है। सावधान! भारत माता की जय, वंदे मातरम।" इस पोस्ट में उन्होंने पीएम मोदी और भाजपा को भी टैग किया।


नेपाल में हाल की अशांति का मुख्य कारण सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने का विवादास्पद निर्णय रहा। इस कदम ने युवाओं में असंतोष को जन्म दिया, जो जल्द ही भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध में बदल गया। प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें कम से कम 22 लोगों की जान चली गई। बढ़ते दबाव के चलते केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। यह घटना न केवल नेपाल की राजनीति में उथल-पुथल का प्रतीक बनी, बल्कि क्षेत्रीय देशों के लिए भी एक चेतावनी बन गई।



राउत की टिप्पणी का राजनीतिक प्रभाव


संजय राउत की पोस्ट ने भारत में राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया। उनके समर्थकों ने इसे भ्रष्टाचार और असहमति के दमन के खिलाफ एक उचित चेतावनी माना, जबकि आलोचकों ने इसे उकसाने और अशांति फैलाने का प्रयास बताया। एक यूजर, आलोक रंजन ने टिप्पणी की, "यह धमकी है, साज़िश है या चेतावनी? आपको पता होना चाहिए कि आपका सपना भारत में पूरा नहीं होगा।" वहीं, एक अन्य यूजर सनी ने लिखा, "क्या आपको लगता है कि भारत श्रीलंका है? कोशिश करके देखो, हम लंका जलाएंगे, भारत नहीं।" नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा एक ऐसी स्थिति को दर्शाता है, जो किसी भी देश में उत्पन्न हो सकती है।