नेपाल में राजनीतिक संकट: राजा ज्ञानेंद्र और सेना की भूमिका

प्रधानमंत्री का इस्तीफा और प्रदर्शन की स्थिति
नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद, प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए हैं। राष्ट्रपति और सेना ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। बड़ी संख्या में सेना को सड़कों पर तैनात किया गया, जिसका असर भी देखने को मिला। 11 सितंबर को प्रदर्शन कुछ हद तक शांत हुआ, लेकिन अंतरिम प्रधानमंत्री के चयन को लेकर विवाद जारी है। बताया गया है कि दो गुटों के बीच झड़पें हुईं, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अंतरिम प्रधानमंत्री कौन बनेगा।
राजा ज्ञानेंद्र का हस्तक्षेप
शाम के समय, नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र ने लोगों से मिलने के लिए अपने घर से बाहर कदम रखा। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और शांति बनाए रखने की अपील की। हालांकि, खबरें हैं कि सेना राजा के साथ मिलकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है, जिससे स्थिति में बदलाव आ सकता है। आज की रात नेपाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
काठमांडू में सेना की तैनाती
रिपोर्टों के अनुसार, काठमांडू और पूरे देश में नेपाली सेना ने अपनी गश्त को कड़ा कर दिया है। सेना ने प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को संपर्क से बाहर कर दिया है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए नेपाल प्रहरी के आईजीपी ने विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। राजा ज्ञानेंद्र ने भी जन-नेताओं से मुलाकात के बाद राष्ट्र के नाम संदेश दिया है।
राजा की सेना का संभावित आगमन
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति के स्थान पर राजा की सेना आज रात आ सकती है। यह चर्चा व्यापक रूप से फैली हुई है। सेना अपने अधिपति को सर्वोच्च मानती है, और संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को सेना का सर्वोच्च प्रमुख माना जाता है।
संविधान के संभावित बदलाव
यदि संविधान समाप्त होने की घोषणा की जाती है, तो पूर्व संवैधानिक राजतंत्र फिर से लागू हो सकता है। इसके अनुसार, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र फिर से नेपाली सेना के सर्वोच्च प्रमुख बन सकते हैं, और उनके आदेशों के तहत नेपाल में एक अंतरिम सरकार का गठन किया जा सकता है।