नेपाल में राजनीतिक संकट: सेना ने संभाली स्थिति, प्रदर्शनकारियों का उग्र विरोध

नेपाल में उथल-पुथल का दौर
Nepal Protest: नेपाल में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता तेजी से बढ़ रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के इस्तीफे के बाद, नेपाली सेना ने देश की सुरक्षा अपने हाथ में ले ली है। काठमांडू से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों तक हिंसक प्रदर्शनों ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
अशांत 48 घंटे
पिछले 48 घंटे नेपाल के इतिहास में सबसे अधिक अशांत माने जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सरकारी इमारतों और कई नेताओं के आवासों को आग के हवाले कर दिया। तीन बड़ी जेलों से सैकड़ों कैदी फरार हो गए, और कई मंत्रियों को सड़कों पर दौड़ाया गया। इस अराजकता के बीच, नेपाली सेना ने सुरक्षा अभियानों की जिम्मेदारी संभालते हुए एयरपोर्ट और सिंह दरबार जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर नियंत्रण कर लिया है।
त्रिभुवन एयरपोर्ट पर सेना का नियंत्रण
नेपाली सेना ने मंगलवार रात से सुरक्षा अभियानों की कमान संभाल ली। प्रदर्शनकारियों द्वारा त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर घुसपैठ की कोशिश के बाद, सेना ने एयरपोर्ट पर नियंत्रण कर लिया। इसके परिणामस्वरूप काठमांडू आने-जाने वाली उड़ानें प्रभावित हुईं। एयर इंडिया, इंडिगो और नेपाल एयरलाइंस ने कई उड़ानें रद्द कर दीं।
सरकारी भवनों पर प्रदर्शनकारियों का हमला
प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के सिंह दरबार (सरकार का मुख्य सचिवालय) को घेरकर उसमें आगजनी की। इसके बाद सेना ने परिसर पर नियंत्रण कर लिया। इसके अलावा, आंदोलनकारियों ने पशुपतिनाथ मंदिर के द्वार पर तोड़फोड़ की कोशिश की, जिसे सेना ने नाकाम कर दिया।
भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध
ओली सरकार पर भ्रष्टाचार और मंत्रियों की विलासिता के आरोप लंबे समय से लगते आ रहे थे। जेन-जी ग्रुप ने इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर इन मुद्दों को उठाया। जब सरकार ने फेसबुक और एक्स समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, तो यह स्थिति और भी बिगड़ गई। सरकार का कहना था कि ये प्लेटफॉर्म नियमानुसार पंजीकृत नहीं थे, लेकिन आंदोलनकारियों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
- ओली सरकार को हटाकर नई सरकार का गठन
- नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी
- राजनीतिक पदों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु तय की जाए
संविधानिक स्थिति
संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री के इस्तीफे या पद रिक्त होने पर मंत्रिपरिषद अंतरिम तौर पर कार्य करती है, जब तक नई सरकार नहीं बनती। राष्ट्रपति के इस्तीफे या अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यभार संभालते हैं। वर्तमान स्थिति में संसद और राजनीतिक दलों पर नई सरकार गठन की जिम्मेदारी आ गई है।
भारतीय दूतावास की एडवाइजरी
काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों से नेपाल यात्रा स्थगित करने और घरों में सुरक्षित रहने की अपील की है। दूतावास ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।
सीमा पर तनाव
नेपाल के सिरहा, धनुषा, बीरगंज और रौतहट जिलों में आगजनी और विरोध प्रदर्शन की घटनाएं सामने आईं। बिहार के मधुबनी और रक्सौल में भी इसका असर देखा गया। सिरहा जिला मुख्यालय में प्रहरी चौकी पर हमला हुआ और बलिदानी हेम नारायण स्मारक को नुकसान पहुंचाया गया।
ओली के इस्तीफे के बाद भी विरोध जारी
प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बावजूद देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। सोमवार को पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के बाद जनाक्रोश और तेज हो गया। राष्ट्रपति पौडेल ने शांति और राष्ट्रीय एकता की अपील की, लेकिन प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं।
उत्तराखंड सरकार की तैयारी
नेपाल की सीमाओं से सटे उत्तराखंड के चंपावत, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिलों में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
नेपाली सेना की अपील
नेपाल सेना ने हालात पर नियंत्रण पाने के लिए शांति और बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की है। हालांकि, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटा लिया गया है, लेकिन आंदोलन अब भ्रष्टाचार और शासन व्यवस्था के खिलाफ एक बड़े अभियान में बदल चुका है।