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नेपाल में विरोध प्रदर्शनों का उग्र रूप, सांसदों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

नेपाल में हाल के दिनों में विरोध प्रदर्शनों ने गंभीर रूप ले लिया है, जिसमें राष्ट्रपति के निजी आवास पर तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार पर बढ़ते दबाव के बीच, कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसदों ने भी सामूहिक इस्तीफा देने का निर्णय लिया है, जिससे राजनीतिक संकट और गहरा हो गया है। जानें इस स्थिति का पूरा विवरण और इसके संभावित प्रभाव।
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नेपाल में विरोध प्रदर्शनों का उग्र रूप, सांसदों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

नेपाल में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों की स्थिति

नई दिल्ली। नेपाल में चल रहे विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक मोड़ ले लिया है। काठमांडू सहित विभिन्न क्षेत्रों में आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी निवास पर धावा बोलकर तोड़फोड़ की और आग लगा दी। काठमांडू में भीड़ ने राष्ट्रपति के घर में जमकर तोड़फोड़ की, जिससे स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। पुलिस और सुरक्षा बलों को गुस्साई भीड़ को नियंत्रित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।


इससे पहले, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के नेता रघुवीर महासेठ और माओवादी अध्यक्ष प्रचंड के निवास पर भी हमले हुए हैं। गृहमंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री सहित पांच मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। बढ़ते दबाव के बीच, पीएम ओली इलाज के बहाने दुबई जाने की योजना बना रहे हैं और उन्होंने उपप्रधानमंत्री को कार्यवाहक जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया है।


हिंसक प्रदर्शनों के बीच, केपी ओली ने शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है। कर्फ्यू और सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बावजूद विरोध प्रदर्शनों का दायरा बढ़ता जा रहा है, जिससे देश में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है।


राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसदों का सामूहिक इस्तीफा

नेपाल में चल रहे आंदोलन के बीच, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसदों ने सामूहिक इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। रवि लामिछाने के नेतृत्व में पहली बार चुनाव जीतकर आई यह पार्टी शुरू से ही विरोध प्रदर्शनों के साथ खड़ी रही है। पार्टी का कहना है कि मौजूदा हालात में संसद भंग कर नए चुनाव कराए जाएं ताकि जनता को सही विकल्प मिल सके। यह कदम ओली सरकार पर भारी दबाव बढ़ाने वाला माना जा रहा है।