नेपाल में सुशीला कार्की का अंतरिम प्रधानमंत्री बनना: क्या है उनके नेतृत्व की योजना?

नेपाल के नए अंतरिम प्रधानमंत्री
नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री: केपी शर्मा ओली की सरकार के अचानक पतन के बाद, 73 वर्षीय सुशीला कार्की को युवा और जेन-जेड समूहों के दबाव में अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया है। कार्की ने स्पष्ट किया है कि वह तब तक पद पर रहेंगी जब तक कि व्यापक राजनीतिक बदलावों के लिए चुनाव नहीं हो जाते। उनका लक्ष्य एक अल्पावधि की निष्पक्ष सरकार बनाकर जल्द से जल्द चुनाव कराना है।
अल्पावधि सरकार का गठन
कार्की ने कहा कि चुनाव कराने के उद्देश्य से अल्पावधि सरकार का गठन किया जाएगा। उनका मुख्य लक्ष्य चुनाव कराना है, जिसके बाद नए नेताओं को कार्यभार सौंपा जाएगा। उन्हें छह महीने या एक साल से अधिक समय नहीं मिलेगा, और वे चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की पूरी कोशिश करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव में पुराने और युवा दोनों नेता भाग ले सकते हैं।
राजनीतिक अनुभव की कमी
कार्की ने स्वीकार किया कि उन्हें राजनीति का कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं एक जज हूँ और मुझे राजनीति नहीं आती।" उन्होंने 40 साल वकील और 10 साल जज के रूप में काम किया है। उनका जोर है कि वे अपने न्यायिक अनुभव और कानूनी दृष्टिकोण के आधार पर प्रशासन चलाएंगी।
राजनीतिक बदलावों का अनुभव
कार्की ने नेपाल में कई बड़े आंदोलनों का अनुभव साझा किया, जैसे 1960, 1990 और 2006 के आंदोलन। उन्होंने कहा कि इस बार भी हम मिलकर समस्याओं का समाधान निकालेंगे और युवा तथा छात्रों के साथ मिलकर एक नया राजनीतिक माहौल बनाने का प्रयास करेंगे।
न्याय और सुरक्षा का प्राथमिकता
कार्की ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों में मारे गए 30 से अधिक युवाओं के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमें उनके माता-पिता के लिए न्याय सुनिश्चित करना होगा। ओली का इस्तीफा एक मांग के रूप में पूरी हुई है, और अब अगला कदम देश से भ्रष्टाचार को मिटाना है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ और व्यवस्था बहाली
कार्की ने बताया कि संसद और सुप्रीम कोर्ट की इमारतों में महत्वपूर्ण फाइलों का जलाया जाना दुखद है। उन्होंने कहा कि स्थिति कठिन है, लेकिन वे युवा पीढ़ी और छात्रों के साथ मिलकर कड़ी मेहनत करेंगी। नेपाल की सड़कों पर अब शांति है और सेना ने इसे अच्छी तरह से संभाला है।
कार्की ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी टीम में कोई पारंपरिक राजनीतिक नेता शामिल नहीं होगा। उनका उद्देश्य राजनीतिक भेदभाव से मुक्त, निष्पक्ष और अल्पावधि की सरकार चलाना है ताकि देश में स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल किया जा सके।