Newzfatafatlogo

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उभरा जनाक्रोश: क्या है इसके पीछे की कहानी?

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने एक बड़ा मोड़ लिया है। यह आंदोलन केवल इंस्टाग्राम के बंद होने से नाराज युवाओं का गुस्सा नहीं है, बल्कि यह व्यापक भ्रष्टाचार और सत्ता के खिलाफ जनाक्रोश में बदल गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा है। जानें इस आंदोलन की कहानी, इसके पीछे के कारण और नेपाल में आगे का रास्ता क्या हो सकता है।
 | 
नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उभरा जनाक्रोश: क्या है इसके पीछे की कहानी?

नेपाल में विरोध प्रदर्शन का उभार

Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने एक अप्रत्याशित मोड़ ले लिया है। शुरुआत में इसे केवल इंस्टाग्राम के बंद होने से नाराज युवाओं का गुस्सा समझा गया, लेकिन यह आंदोलन जल्द ही व्यापक भ्रष्टाचार और सत्ता के खिलाफ जनाक्रोश में बदल गया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इससे पहले बांग्लादेश और श्रीलंका में भी इसी तरह के युवा आंदोलनों ने सत्ता परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाए थे.


सोशल मीडिया प्रतिबंध से शुरू हुआ आंदोलन

सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ आंदोलन


नेपाल सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया ऐप्स पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया था। शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व जेन-Z युवाओं ने किया, और यह आंदोलन जल्द ही केवल 'फ्री स्पीच' तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि भ्रष्टाचार और सत्ता परिवर्तन की मांग में बदल गया।


टिकटॉक, जो उस समय बैन नहीं था, पर वायरल हुए वीडियो ने आंदोलन को और गति दी। इन वीडियो में साधारण युवाओं के जीवन और नेताओं के बच्चों की भव्य जीवनशैली के बीच तुलना की गई। इस दौरान हैशटैग्स जैसे #NepoKid, #NepoBabies, #PoliticiansNepoBabyNepal ट्रेंड करने लगे, जिससे नेताओं की वंशवादी राजनीति पर सवाल उठने लगे।


वित्तीय घोटाले का प्रभाव

वित्तीय घोटाले बने आंदोलन का प्रतीक


हाल ही में राष्ट्रीय एयरलाइन द्वारा विमान खरीद में हुए कथित घोटाले की जांच रिपोर्ट ने भी युवाओं के गुस्से को भड़काया। नेपाल का यह आंदोलन अकेली घटना नहीं है। बांग्लादेश में जुलाई 2024 में छात्रों ने सरकारी नौकरियों में विवादित कोटा व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, जो जल्द ही भ्रष्टाचार और सत्ता की विरासत के खिलाफ गुस्से में बदल गया। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा, और अब नोबेल विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस अंतरिम शासन का नेतृत्व कर रहे हैं।


श्रीलंका में भी 2022 में महंगाई, भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ युवा सड़कों पर उतरे थे। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश नाकाम रही और #GoHomeGota जैसे हैशटैग ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सत्ता को हिला दिया। 2024 के चुनावों में वामपंथी गठबंधन सत्ता में आया, जिसमें सबसे अधिक युवा और महिला सांसद चुने गए।


नेपाल में आंदोलन का भविष्य

नेपाल में आगे का रास्ता


नेपाल में भी आंदोलन के दौरान विपक्षी नेताओं के घरों पर हमले हुए, जिससे यह स्पष्ट है कि यह आंदोलन किसी एक पार्टी या विचारधारा से प्रेरित नहीं है। भारत ने नेपाल में हुई हिंसा और प्रदर्शनकारियों की मौत की निंदा की है। अधिकारियों ने कहा कि सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी गई है, लेकिन नेपाल की अशांति का असर भारत में फैलने की आशंका नहीं है.