नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हिंसा: भारत की चिंता और अपील

नेपाल में बढ़ती हिंसा पर भारत की प्रतिक्रिया
नेपाल में विरोध प्रदर्शन: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ भड़की हिंसा के चलते भारत सरकार ने मंगलवार को अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय (MEA) ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नेपाल में स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है। उन्होंने हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
भारत का बयान और सुरक्षा सलाह
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम नेपाल में हो रही घटनाओं पर ध्यान दे रहे हैं और युवाओं की मौत से गहरा दुख है। हमारी संवेदनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं और हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। एक करीबी मित्र और पड़ोसी के रूप में, हम आशा करते हैं कि सभी पक्ष संयम बरतेंगे और मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण संवाद से करेंगे।' भारतीय दूतावास ने नेपाल में रहने वाले भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने, भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। मंत्रालय ने कर्फ्यू की स्थिति का भी उल्लेख किया है, जो काठमांडू सहित कई शहरों में फिर से लागू किया गया है।
नेपाल में हिंसा और कर्फ्यू की स्थिति
सोमवार को काठमांडू और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक लोग घायल हुए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह हाल के वर्षों में सबसे हिंसक झड़पों में से एक रही। प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार सुबह फिर से सड़कों पर उतरकर संसद के पास और कालांकी क्षेत्र में सड़कें जाम कर दीं। इसके बाद जिला प्रशासन ने रिंग रोड क्षेत्र में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू करने का ऐलान किया। काठमांडू और इटहरी में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की। प्रदर्शन का नेतृत्व ज्यादातर छात्रों ने किया, जो प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
पीड़ित परिवारों का गुस्सा
कई पीड़ित परिवारों ने सरकार पर दमन का आरोप लगाया है। रिटायर्ड नेपाल आर्मी कर्नल मधव सुंदर खड़गा ने बताया कि उनका बेटा प्रदर्शन के दौरान लापता हो गया। जब उन्होंने इसकी शिकायत के लिए पुलिस के पास गए, तो पुलिस ने उनके साथ भी मारपीट की। एक छात्र ने कहा, 'कई छात्रों की हत्या हुई है। प्रधानमंत्री ओली को देश छोड़ना चाहिए। छात्रों को आवाज उठाते रहना चाहिए।'
प्रधानमंत्री ओली का बयान
प्रधानमंत्री ओली ने देर रात एक संबोधन में सोशल मीडिया बैन हटाने की घोषणा की और हिंसा के लिए 'बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप' को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने जांच आयोग, पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता और घायलों के लिए मुफ्त इलाज का वादा किया। हालांकि, आश्वासनों के बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और प्रधानमंत्री के इस्तीफे तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दे रहे हैं।