नेपाल में हिंसा की घटनाओं की जांच का आदेश, प्रधानमंत्री ने की सख्त टिप्पणी
नेपाल की प्रधानमंत्री का बयान
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने 9 सितंबर को देशभर में हुई हिंसा, आगजनी, लूटपाट और हत्या की घटनाओं की विस्तृत जांच कराने का निर्णय लिया है। सिंहदरबार में अपने पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने कहा कि ये घटनाएं केवल प्रदर्शन का हिस्सा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का परिणाम हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी और निजी संपत्तियों को निशाना बनाना युवा प्रदर्शनकारियों का कार्य नहीं हो सकता। कार्की ने उन समूहों की पहचान की है जो इस हिंसा में शामिल थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की हिंसा और तोड़फोड़ को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के घरों, दुकानों, होटलों और फैक्ट्रियों में आगजनी और लूटपाट ने जनता की जिंदगी पर गंभीर असर डाला है। पहले से ही कमजोर आर्थिक स्थिति को इस हिंसा ने और भी प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री ने नेपाली उद्योगपतियों की सराहना की, जो इस कठिन समय में स्थिति का सामना कर रहे हैं। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि मिलकर इस संकट से उबरना संभव है।
8 सितंबर को हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोली से मारे गए युवाओं को सरकार ने शहीद का दर्जा दिया है। इसके साथ ही मृतकों के परिवारों को दस लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की गई है। सुशीला कार्की ने कहा कि प्रदर्शन में घायल सभी लोगों का इलाज सरकार द्वारा किया जाएगा और जिनकी मौत हुई है, उनके शवों को घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सरकार लेगी।
इस हिंसा में लगभग 700 से 1000 इमारतों को नुकसान पहुंचा है। 30 से अधिक पुलिस थाने भी तोड़े गए और 5000 से ज्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इंजीनियरों की एक टीम अब नुकसान का मूल्यांकन कर रही है। स्थानीय लोगों ने इस हिंसा को एक योजनाबद्ध साजिश बताया है, न कि साधारण विरोध प्रदर्शन। वकील संघ की इमारत पूरी तरह तबाह हो गई है, वकील अपनी बची हुई चीजें लेने पहुंचे हैं।
मुख्य सचिव एक नारायण आर्यल ने बताया कि इस आंदोलन में अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और 3 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।