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नेपाल से लेकर श्रीलंका तक: कैसे बदल रही है दक्षिण एशिया की राजनीति?

दक्षिण एशिया में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों ने क्षेत्र की स्थिरता को चुनौती दी है। नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन के बाद युवा सड़कों पर उतर आए, जबकि बांग्लादेश में प्रधानमंत्री हसीना को भागना पड़ा। पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी ने सेना के खिलाफ प्रदर्शन को जन्म दिया। श्रीलंका में आर्थिक संकट ने अरगलाया आंदोलन को जन्म दिया, और अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने लोकतंत्र को खत्म कर दिया। इन घटनाओं ने भारत के लिए भी महत्वपूर्ण सबक प्रस्तुत किए हैं।
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नेपाल से लेकर श्रीलंका तक: कैसे बदल रही है दक्षिण एशिया की राजनीति?

अंतरराष्ट्रीय समाचार: नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन

अंतरराष्ट्रीय समाचार: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगते ही स्थिति बिगड़ गई। काठमांडू सहित पूरे देश में युवा सड़कों पर उतर आए, जिससे पुलिस की स्थिति कठिन हो गई। गुस्से की लहर इतनी तीव्र थी कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। अब यह खबर आ रही है कि ओली दुबई जाने की योजना बना रहे हैं। यह घटना नेपाल की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाने वाली है।


बांग्लादेश में जनता का आक्रोश

बांग्लादेश में जनता का गुस्सा

2024 में बांग्लादेश में हालात बेकाबू हो गए। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ ढाका समेत पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। आरोप था कि आवामी लीग विपक्ष को दबा रही है। अगस्त 2024 में स्थिति इतनी बिगड़ गई कि हसीना को सत्ता छोड़कर भागना पड़ा। यह बांग्लादेश की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका था।


पाकिस्तान में सेना के खिलाफ प्रदर्शन

पाकिस्तान में सेना के खिलाफ बवाल

2023 में इमरान खान की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान में सब कुछ बदल दिया। तोशखाना मामले में गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए। लाहौर से इस्लामाबाद तक सरकारी इमारतें जल गईं और सेना के ठिकानों को भी निशाना बनाया गया। इंटरनेट बंद कर दिया गया और कर्फ्यू जैसे हालात बन गए। यह पहला मौका था जब जनता ने सीधे सेना के खिलाफ अपना गुस्सा प्रकट किया।


श्रीलंका का अरगलाया आंदोलन

श्रीलंका का अरगलाया आंदोलन

2022 में श्रीलंका में आर्थिक संकट ने लोगों को सड़कों पर ला खड़ा किया। महंगाई, ईंधन की कमी और बिजली कटौती ने जनता को बगावत के लिए मजबूर कर दिया। हजारों प्रदर्शनकारी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गए, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश छोड़ना पड़ा। इस आंदोलन को 'अरगलाया आंदोलन' कहा गया और इसने श्रीलंका की राजनीति की दिशा बदल दी।


अफगानिस्तान में तालिबान का नियंत्रण

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी

2021 में अमेरिका ने 20 साल बाद अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुला ली। इसके बाद तालिबान ने तेजी से देश पर कब्जा कर लिया। जैसे ही उन्होंने काबुल पर नियंत्रण पाया, राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। लोकतंत्र की जगह तालिबान का कठोर शासन स्थापित हो गया। अफगानिस्तान एक बार फिर आतंक और तानाशाही की चपेट में आ गया।


भारत के लिए महत्वपूर्ण सबक

भारत के लिए बड़ा सबक

पिछले चार वर्षों में भारत के चार पड़ोसी देशों में सत्ता परिवर्तन हुआ है। हर देश में कारण अलग थे, लेकिन संदेश एक ही है कि जनता का गुस्सा या हालात बिगड़ने पर कोई भी सरकार नहीं टिक सकती। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि पड़ोस की अस्थिरता उसके लिए भी चुनौती बन सकती है।