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नेहा प्रवीण और विजेंद्र सिंह: प्रेरणादायक शिक्षकों की कहानी

इस लेख में नेहा प्रवीण और विजेंद्र सिंह की प्रेरणादायक कहानियों का वर्णन किया गया है, जिन्होंने जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा देकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया है। नेहा ने 200 से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी है, जबकि विजेंद्र ने 121 बच्चों को डॉक्टर बनाया है। जानें कैसे ये शिक्षक समाज में एक नई उम्मीद जगाते हैं।
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नेहा प्रवीण और विजेंद्र सिंह: प्रेरणादायक शिक्षकों की कहानी

नेहा प्रवीण का शिक्षण अभियान

प्रेरणादायक शिक्षकों की कहानी, अम्बाला: 2015 की एक दोपहर, कैंट सुभाष पार्क में छात्राएं जामुन तोड़ने में व्यस्त थीं। इनमें से एक, 12वीं की छात्रा नेहा प्रवीण ने देखा कि कुछ बच्चे गंदे जामुन खा रहे थे। जब उसने उनसे पूछा, तो बच्चों ने मासूमियत से कहा कि यह उनकी रोजमर्रा की जिंदगी है। यह दृश्य नेहा के दिल को छू गया।


इस घटना के बाद, नेहा ने बच्चों को शिक्षित करने का एक अभियान शुरू किया। आज, वह 200 से अधिक जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हैं। हाल ही में, इनमें से एक छात्रा का चयन आईआईटी में हुआ है, जहां वह एआई इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेगी। एक अन्य छात्र ने सुपर-100 में स्थान प्राप्त किया है, जबकि एक ने जेईई परीक्षा पास की है। उनके द्वारा पढ़ाए गए कई बच्चे अब अकाउंटेंट और इंजीनियर बन चुके हैं। उल्लेखनीय है कि नेहा ने मास्टर ऑफ सोशल वर्क, बीएड, और कंप्यूटर डिप्लोमा जैसे कई पाठ्यक्रम किए हैं और वर्तमान में एलएलबी की पढ़ाई कर रही हैं।


ड्रॉपआउट बच्चों का स्कूल में दाखिला

नेहा ने ड्रॉपआउट बच्चों का स्कूल में कराया दाखिला


जब नेहा ने कॉलेज में दाखिला लिया, तो उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गांधी ग्राउंड में 25 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। आधार कार्ड की कमी के कारण बच्चों का दाखिला नहीं हो पा रहा था। डीसी की अनुमति मिलने के बाद, उसने अपनी आईडी पर आधार कार्ड बनवाया और सभी बच्चों का दाखिला बीसी बाजार राजकीय स्कूल में कराया। नेहा ने बताया कि जब उसके पिता का साया उठ गया, तो वह अपने भाई की फीस भी नहीं भर पा रही थी।


नेहा ने कॉलेज छोड़कर डाटा एंट्री की नौकरी की, लेकिन पढ़ाई जारी रखी। इस दौरान उसे एहसास हुआ कि उसके भाई के लिए तो वह थी, लेकिन कई ऐसे प्रतिभाशाली बच्चे भी हैं जिनका कोई सहारा नहीं है।


जिस भावना ने उस दिन उसे प्रेरित किया, वह अब एक बड़े अभियान का रूप ले चुकी है। वर्तमान में, वह दो केंद्र चला रही हैं, जहां 200 से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा, उसने 35 बच्चों को गोद लिया है, जिनका खर्च उसकी एनजीओ उठाती है।


विजेंद्र सिंह का समर्पण

विजेंद्र सिंह के समर्पण से 35 कैडेट्स सेना में कार्यरत


सीनियर लेक्चरर विजेंद्र सिंह डागर ने 25 वर्षों की सेवा में 121 बच्चों को डॉक्टर बनाया है। वह एनसीसी अधिकारी भी हैं। उनकी मेहनत और समर्पण के कारण, लगभग 35 कैडेट्स अब सेना में सेवाएं दे रहे हैं। ये बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर थे, लेकिन उनके हौसले में कोई कमी नहीं थी।


गुरुजी ने न केवल उन्हें पढ़ाया, बल्कि विशेष कोचिंग भी दी और हमेशा प्रेरित किया। डागर ने बताया कि उनके पिता फौज में थे, लेकिन घर में कोई ऐसा नहीं था जो पढ़ाई के लिए मार्गदर्शन कर सके।


उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सही दिशा मिलती, तो शायद वह और भी बेहतर कर पाते। यही प्रेरणा उन्हें मिली और उन्होंने ठान लिया कि वह बच्चों को सही रास्ता दिखाएंगे।