नोएडा में नया जंगल ट्रेल: एडवेंचर और नाइट सफारी का अनुभव

नोएडा में नया जंगल ट्रेल
नोएडा समाचार: शहरवासियों को ओखला पक्षी विहार के बाद एक और प्राकृतिक स्थल का आनंद लेने का अवसर मिलेगा। नोएडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टर-44 में महामाया फ्लाईओवर और ओखला पक्षी विहार के बीच एक नया जंगल ट्रेल विकसित किया जा रहा है। इस ट्रेल में लोग एडवेंचर गतिविधियों का भी आनंद ले सकेंगे, जिसमें जिप लाइन, रॉक क्लाइंबिंग और नाइट सफारी शामिल हैं।
प्रवेश शुल्क और पार्किंग की व्यवस्था
नोएडा प्राधिकरण से वसूला जाएगा शुल्क
जंगल ट्रेल में प्रवेश के लिए 100 रुपये का टिकट लगेगा। इसके अलावा, जिप लाइन, रॉक क्लाइंबिंग और नाइट सफारी जैसी गतिविधियों के लिए भी अलग से टिकट खरीदना होगा। प्राधिकरण ने इस ट्रेल के लिए 500 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था भी की है, जिससे आगंतुक आसानी से अपनी गाड़ी पार्क कर सकेंगे।
शिक्षण और मनोरंजन का अवसर
बच्चों के लिए जंगली जानवरों की जानकारी
एसीईओ वंदना त्रिपाठी ने बताया कि जंगल ट्रेल पर बच्चे जंगली जानवरों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और विभिन्न खेलों का आनंद ले सकेंगे। बारिश के मौसम में यहां का अनुभव और भी मजेदार होगा। उन्होंने बताया कि यहां कबाड़ से बनाए गए जानवरों की आकृतियाँ होंगी, जो पहली नजर में जीवित जानवरों जैसी दिखेंगी।
पार्क में देखने को मिलेंगे विभिन्न जानवर
जानवरों की आकृतियाँ
एसीईओ ने बताया कि जून 2024 में पीपीपी मॉडल के तहत पार्क का निर्माण शुरू हुआ था। यह पार्क लगभग 18.27 एकड़ में विकसित किया जा रहा है, जिसमें कबाड़ से बने डायनासोर, गैंडा, मगरमच्छ, और अन्य जानवरों की आकृतियाँ शामिल होंगी। आगंतुक यहां जंगल में सैर का आनंद भी ले सकेंगे।
पार्क के विकास की योजना
एंपीथियेटर और फूड कोर्ट का विकास
पार्क का पहला जोन 4.05 एकड़ में विकसित किया जा रहा है, जिसमें पार्किंग, 1000 लोगों की क्षमता वाला एंपीथियेटर, फूड कोर्ट और प्रदर्शनी क्षेत्र शामिल हैं। दूसरे जोन में ट्रोपिकल रेन फारेस्ट और वेट लैंड का निर्माण किया जा रहा है। तीसरा जोन आईस लैंड ओशियन और पोलर रीजन पर आधारित होगा।
पार्क के निर्माण में निवेश
15 करोड़ रुपये का निवेश
पार्क के निर्माण में 500 टन लोहे का उपयोग किया जा रहा है, साथ ही प्लास्टिक वेस्ट का भी प्रयोग किया जा रहा है। इस परियोजना पर लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जिसमें हाथी, पैंगुइन, शेर, जिराफ़, और अन्य जानवरों की आकृतियाँ बनाई जा रही हैं।