नोएडा में सबवेंशन स्कीम घोटाले की सीबीआई जांच तेज

सीबीआई की कार्रवाई का विस्तार
नोएडा समाचार: नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में सबवेंशन स्कीम से जुड़े बड़े घोटाले की जांच में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है। बुधवार को, सीबीआई की एक टीम नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय में पहुंची और 10 बिल्डरों से संबंधित विस्तृत जानकारी इकट्ठा की। इन बिल्डरों पर आरोप है कि इन्होंने वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर फ्लैट खरीदारों को लोन दिलवाया और उस धनराशि को अन्य परियोजनाओं में स्थानांतरित कर दिया।
दफ्तर से साइट तक की जांच
सीबीआई की जांच प्रक्रिया: दोपहर करीब 12:30 बजे, सीबीआई टीम नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय में पहुंची और ग्रुप हाउसिंग विभाग में जाकर बिल्डरों के निर्माण कार्य से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की। टीम ने निर्माण की वर्तमान स्थिति, आवंटन विवरण, बकाया धनराशि, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और कम्प्लीशन सर्टिफिकेट के बारे में गहराई से पूछताछ की। टीम लगभग तीन घंटे तक कार्यालय में रही और इसके बाद संबंधित अधिकारियों के साथ बिल्डरों की साइट पर भी निरीक्षण किया।
सबवेंशन स्कीम घोटाले का विवरण
क्या है सबवेंशन स्कीम: यह स्कीम 2014 के आसपास शुरू की गई थी, जिसमें फ्लैट खरीदारों को आकर्षित करने के लिए एक ऐसा मॉडल तैयार किया गया था, जिसमें खरीदारों को लोन की सुविधा दी जाती थी, लेकिन लोन की किस्त बिल्डर द्वारा दी जानी थी जब तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिल जाता।
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन
लोन की अनियमितताएँ: बैंकों ने बिना परियोजना का भौतिक सत्यापन किए पूरी रकम जारी कर दी। एक अघोषित गठजोड़ के तहत लोन की पूरी राशि बिल्डरों को सौंप दी गई। कुछ समय बाद, बिल्डरों ने किस्त देना बंद कर दिया, जिससे खरीदारों को न तो फ्लैट मिला और न ही उनके नाम से लिए गए लोन से मुक्ति। इस घोटाले का असर एनसीआर की लगभग 40 हाउसिंग परियोजनाओं पर पड़ा है, जिसमें लाखों फ्लैट खरीदार फंस गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
सीबीआई जांच के आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। प्राधिकरणों को निर्देशित किया गया था कि वे सीबीआई को आवश्यक सूचनाएं देने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करें। इसी के तहत, नोएडा प्राधिकरण ने वित्त विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी संजीव दत्ता को नोडल अधिकारी बनाया है।
सीबीआई को सौंपी गई जानकारी
जानकारी का संकलन: परियोजनाओं के स्वीकृत पत्र, ले-आउट प्लान, बकाया भुगतान विवरण, रजिस्ट्री स्थिति और को-डेवलपर्स की जानकारी सीबीआई को सौंपी गई है।