नौगाम पुलिस स्टेशन में धमाका: क्या है व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का कनेक्शन?
धमाके की घटना
नई दिल्ली: शुक्रवार रात को जम्मू-कश्मीर के नौगाम पुलिस स्टेशन में एक भयानक विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 9 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए हैं। यह वही पुलिस स्टेशन है, जहां हाल ही में व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया गया था। इस मामले में पहली एफआईआर भी यहीं दर्ज की गई थी, जिसके बाद देशभर में कार्रवाई की गई थी।
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा
रिपोर्टों के अनुसार, नौगाम पुलिस ने श्रीनगर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पोस्टरों को जब्त किया था, जिसके बाद इस मॉड्यूल का खुलासा हुआ। अब इस पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट ने सभी को चौंका दिया है। मामले की जांच विभिन्न पहलुओं से की जा रही है।
धमाके का समय
धमाका उस समय हुआ जब अधिकारी हरियाणा के फरीदाबाद से बरामद विस्फोटकों के नमूनों की जांच कर रहे थे। यह वही सामग्री थी, जो हाल ही में व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल की जांच के दौरान मिली थी। हालांकि, विस्फोट के कारणों की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
क्षेत्र में भारी नुकसान
धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि पुलिस स्टेशन के अंदर खड़ी कई गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के तुरंत बाद दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुंची। सुरक्षा कारणों से पुलिस स्टेशन की ओर जाने वाली सभी सड़कों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी
हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने फरीदाबाद के धौज और फतेहपुर टैगा क्षेत्रों में दो किराए के कमरों से लगभग 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री जब्त की थी। यह कमरा पुलवामा के डॉ. मुअज्जमिल शकील के नाम पर किराए पर लिया गया था, जो अल-फला मेडिकल कॉलेज में पढ़ाते थे।
जांच की दिशा
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर में लगे उग्रवादी पोस्टरों की जांच से यह कहानी मुअज्जमिल की गिरफ्तारी तक पहुंची। उससे हुई पूछताछ ने जांच टीम को फरीदाबाद में सक्रिय मॉड्यूल तक पहुंचाया, जहां से विस्फोटक सामग्री मिली। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह नेटवर्क तीन डॉक्टरों द्वारा संचालित किया जा रहा था, जिनमें डॉ. मुअज्जमिल शकील गनई, उमर नबी और मुज़फ्फर राथर शामिल हैं।
