पंजाब उच्च न्यायालय ने मेहमदपुर में निर्माण गतिविधियों पर लगाई रोक
निर्माण गतिविधियों पर रोक का आदेश
पटियाला: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पटियाला-संगरूर मार्ग पर मेहमदपुर में पंजाब मंडी बोर्ड द्वारा चल रही सभी निर्माण गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगा दी है। न्यायालय के निर्देश के अनुसार, बोर्ड को गांव की सार्वजनिक भूमि के अवैध अधिग्रहण और अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग के आरोपों की न्यायिक समीक्षा पूरी होने तक कोई विकास कार्य करने से रोका गया है।
यह मामला मेहमदपुर की ग्राम पंचायत द्वारा उठाया गया था, जिसका नेतृत्व सरपंच करमजीत सिंह कर रहे थे। करमजीत सिंह ने पंजाब मंडी बोर्ड द्वारा 22 एकड़ (लगभग 96 बीघा) सार्वजनिक भूमि के हस्तांतरण को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह भूमि एक सब्जी मंडी के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है, जिसमें दुकानों की नीलामी और सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण शामिल है।
एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भूमि पटियाला स्थित सेना के गोला-बारूद डिपो के 1,000 गज के प्रतिबंधित क्षेत्र में आती है। रक्षा निर्माण अधिनियम, 1903 और संबंधित रक्षा मंत्रालय की अधिसूचनाओं के अनुसार, इस बफर ज़ोन में निर्माण कार्य निषिद्ध है। स्थानीय ग्राम सभा ने 15 सितंबर को एक बैठक बुलाई थी, जिसमें 270 से अधिक ग्रामीणों ने भूमि-हस्तांतरण मंजूरियों को रद्द करने और पंचायत को भूमि वापस करने की मांग की।
पटियाला के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी ने जि़ला विकास एवं पंचायत अधिकारी को दी गई रिपोर्ट में प्रतिबंधित क्षेत्र में आगे निर्माण की अवैधता पर जोर दिया और भूमि को ग्राम समुदाय को लौटाने की वकालत की। कानूनी याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14 और 300ए के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जिसमें कानून के समक्ष समानता और संपत्ति के अधिकारों के संरक्षण का उल्लंघन शामिल है। इन दावों के मद्देनजर, उच्च न्यायालय ने अपरिवर्तनीय परिणामों को रोकने के लिए पंजाब मंडी बोर्ड द्वारा सभी निर्माण गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगा दी है।

गांववासियों के लिए राहत का फैसला: वकील आयुष सरना
याचिकाकर्ता के वकील आयुष सरना ने कहा कि स्थगन आदेश महमदपुर और आसपास के ग्रामीणों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत लेकर आया है। जो 50 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित सामुदायिक भूमि के नुकसान और संवेदनशील रक्षा प्रतिष्ठानों के निकट व्यावसायिक संरचनाओं से उत्पन्न संभावित खतरे से चिंतित हैं। अदालत का फैसला गांव की साझा भूमि और रक्षा सुरक्षा नियमों के कानूनी संरक्षण की आवश्यकता पर बल देता है।
