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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का क्लर्क बहाली का फैसला: 964 क्लर्कों को मिली राहत

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 964 क्लर्कों को बहाल करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो पिछले पांच वर्षों से सेवा में थे। यह निर्णय उन क्लर्कों के लिए राहत का स्रोत है, जिन्हें पहले नौकरी से निकाला गया था। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वे इन क्लर्कों को उनके पदों पर पुनर्स्थापित करें। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे का घटनाक्रम।
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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का क्लर्क बहाली का फैसला: 964 क्लर्कों को मिली राहत

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट: क्लर्क बहाली का फैसला: 964 क्लर्कों को राहत: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा क्लर्कों की बहाली का निर्णय चंडीगढ़ में चर्चा का विषय बना हुआ है।


हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार और संबंधित विभागों को 2019 में चयनित 964 क्लर्कों को उनके पदों पर पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया है। जस्टिस जगमोहन बंसल की एकल पीठ ने यह महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। पिछले पांच वर्षों से कार्यरत इन क्लर्कों को न्यायसंगत बहाली का अधिकार मिला है, जो कि उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी राहत है। आइए, इस मामले की पूरी जानकारी प्राप्त करें।


2019 का क्लर्क विवाद: घटनाक्रम

2019 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 964 लोअर डिवीजन क्लर्कों की भर्ती की थी। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद कई अभ्यर्थियों ने नियुक्ति प्राप्त की और कार्य आरंभ किया। लेकिन बाद में मेरिट सूची में संशोधन किया गया, जिसके कारण कुछ उम्मीदवारों के नाम सूची से हटा दिए गए।


इस स्थिति के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, जिसके खिलाफ अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में क्लर्क बहाली का यह मामला काफी चर्चा में रहा।


हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश

29 मई 2024 को हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि 964 पदों पर नियुक्ति पूरी नहीं हुई है, इसलिए जिन योग्य उम्मीदवारों को हटाया गया, उन्हें रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए।


यह समायोजन उसी चयन प्रक्रिया के तहत होना था। लेकिन हरियाणा सरकार और उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम ने नए भर्ती विज्ञापन जारी कर दिए, जिससे प्रभावित उम्मीदवार फिर से कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट का यह निर्णय अब उम्मीद जगाने वाला है।


कोर्ट में सुनवाई: सरकार का पक्ष

सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि 26 याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति हो चुकी है और 12 अन्य को जल्द नियुक्ति दी जाएगी। हालांकि, 6 अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराया गया।


जस्टिस जगमोहन बंसल की पीठ ने सरकार को सख्त निर्देश दिए कि 2019 की चयन प्रक्रिया से जुड़े रिक्त पदों पर ही समायोजन किया जाए। यह फैसला न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


उम्मीदवारों और जनता के लिए राहत

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के इस निर्णय से 964 क्लर्कों को नई उम्मीद मिली है। पिछले पांच वर्षों से सेवा दे रहे इन कर्मचारियों को हटाना अन्याय था। हाई कोर्ट का यह फैसला उनकी मेहनत को मान्यता देता है।


यह समाचार चंडीगढ़ और हरियाणा में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह निर्णय न केवल क्लर्कों के लिए, बल्कि भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं के लिए भी एक उदाहरण बनेगा। अब उम्मीदवार अपने अधिकारों के लिए आश्वस्त हैं।