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पंजाब के किसानों को फसलों की पैदावार में गिरावट से 10,000 करोड़ का नुकसान

पंजाब में धान की फसल में भारी गिरावट के कारण किसानों को 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का खतरा है। पूर्व शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और किसानों की समस्याओं को सुना। उन्होंने सरकार से मांग की कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदने और खराब फसलों का मुआवजा जल्द से जल्द दिया जाए। जानें इस गंभीर स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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पंजाब के किसानों को फसलों की पैदावार में गिरावट से 10,000 करोड़ का नुकसान

किसानों की समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए

- मंडियों में उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान, सरकार मुआवजा देने में असफल


- चिंता का विषय: पंजाब में धान की कटाई में देरी, 70% फसल अभी भी खेतों में


- खाद्य आपूर्ति विभाग ने इस सीजन में खरीद लक्ष्य 185 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 150 लाख मीट्रिक टन किया


जालंधर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और पूर्व शिक्षा मंत्री पद्मश्री परगट सिंह ने आज बाढ़ प्रभावित गांव कुक्कड़ पिंड की दाना मंडी का दौरा किया। उन्होंने वहां धान की फसल का निरीक्षण किया और किसानों की समस्याओं को सुना। पंजाब सरकार मंडियों में सुविधाएं उपलब्ध कराने और फसलों की उचित खरीद में असफल रही है।


उन्होंने बाढ़ के कारण खराब हुई फसलों और कम उत्पादन पर गहरी चिंता व्यक्त की। बताया कि अक्टूबर में केवल 30-32% फसल की कटाई हो पाई है, जबकि बाकी फसल अभी भी खेतों में खड़ी है। कई क्षेत्रों में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम कीमत पर फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।


पूर्व शिक्षा मंत्री ने चेतावनी दी कि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, धान की पैदावार में कमी से पंजाब के किसानों को 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का खतरा है। खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने इस सीजन में खरीद लक्ष्य को 185 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 150 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। 2016 में भी फसल की पैदावार कम रही थी, तब धान की आवक 140 लाख मीट्रिक टन तक सीमित थी।


परगट सिंह ने पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से मांग की है कि वे किसानों की फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सुनिश्चित करें। साथ ही, खराब हुई फसल का मुआवजा जल्द से जल्द जारी किया जाना चाहिए।


उन्होंने बताया कि इस साल आई बाढ़ के दौरान पंजाब में लगभग 3.5 से 4 लाख एकड़ धान के खेत डूब गए और 37% तक धान की फसल खराब हो गई, जिससे करीब ₹7,500 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। तरनतारन, फाज़िल्का, गुरदासपुर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, अमृतसर और मानसा जैसे जिलों में अधिक नुकसान दर्ज किया गया।


परगट सिंह ने कहा कि आमतौर पर पंजाब में धान की औसत पैदावार प्रति एकड़ 30 क्विंटल से अधिक होती है, लेकिन बाढ़ और बारिश के कारण 10 से 15% की गिरावट आई है। कई क्षेत्रों में पैदावार प्रति एकड़ 15-20 क्विंटल रह गई है, जो 50-55% की गिरावट को दर्शाती है। आंकड़ों के अनुसार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 90% से अधिक खड़ी फसल खराब हो गई। किसानों को प्रति एकड़ ₹30,000 का नुकसान हुआ है।


परगट सिंह ने कहा कि खेतों में पानी उतरने के बाद कुछ स्थानों पर 1-3 फीट गहरी रेत और गाद जमा हो गई है, जिससे खेतों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। जमीन ठीक होने तक गेहूं की बुवाई पर खतरा बना हुआ है।


उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को डीएपी खाद भी नहीं मिल रही है और वे निजी डीलर्स से महंगे दाम पर खरीदने को मजबूर हैं। इस सीजन में पंजाब में 2 लाख टन डीएपी की कमी है। किसानों को सब्सिडी पर डीएपी खाद उपलब्ध कराई जानी चाहिए।