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पंजाब के मुख्यमंत्री ने पानी के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री से की सख्त अपील

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष राज्य के जल संसाधनों की रक्षा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है। मुख्यमंत्री ने चेनाब और रावी नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव भी रखा, जिससे जल का बेहतर उपयोग किया जा सके। इसके अलावा, उन्होंने बीबीएमबी में राजस्थान के स्थायी सदस्य की नियुक्ति पर भी विरोध जताया। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर और क्या कहा गया।
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पंजाब के मुख्यमंत्री ने पानी के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री से की सख्त अपील

पंजाब के पानी पर कोई अतिरिक्त दावा नहीं: मुख्यमंत्री


पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष प्रदेश के जल संसाधनों की रक्षा की। चंडीगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए कोई अतिरिक्त जल नहीं है। उन्होंने कहा कि एसवाईएल के माध्यम से जल वितरण के लिए कोई अतिरिक्त जल उपलब्ध नहीं है और पानी की उपलब्धता के लिए कोई वैज्ञानिक गणना नहीं की गई है।


मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पंजाब 1981 से 17.17 एमएएफ पानी की उपलब्धता को लेकर विवाद में है। उन्होंने कहा कि सभी अंतरराष्ट्रीय जल समझौतों में यह उल्लेखित है कि जल की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन हर 25 वर्ष में होना चाहिए। भगवंत सिंह मान ने बताया कि 1981 में जल की उपलब्धता का आंकलन 1921-1960 के प्रवाह श्रृंखला के आधार पर किया गया था, जो कि पुराना डेटा है।


चेनाब और रावी को जोड़ने का प्रस्ताव

मुख्यमंत्री ने पानी के मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि सिंधु जल संधि के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने चेनाब नदी को रावी और ब्यास नदियों से जोड़ने का सुझाव दिया, जिसके लिए पहले से ही बांध मौजूद हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस संयोजन से निचले राज्यों में जल का उपयोग बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए किया जा सकता है।


बीबीएमबी में राजस्थान का स्थायी सदस्य नियुक्त करना अनुचित

मुख्यमंत्री ने बीबीएमबी में राजस्थान के स्थायी सदस्य की नियुक्ति पर पंजाब का विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि बीबीएमबी पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत स्थापित संस्था है, जो केवल उत्तराधिकारी राज्यों पंजाब और हरियाणा से संबंधित है। भगवंत सिंह मान ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि पंजाब और हरियाणा से एक-एक सदस्य की मूल व्यवस्था को बनाए रखा जाए।


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