पंजाब के मुख्यमंत्री ने सिंधु जल के अधिकार की मांग की

मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के समक्ष उठाई राज्य की मांगें
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने नीति आयोग की उच्च स्तरीय टीम के सामने पंजाब के जल संकट का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य में पानी की गंभीर कमी हो रही है और कई जिले डार्क जोन में चले गए हैं। मान ने नीति आयोग के समक्ष राज्य के हितों की रक्षा के लिए समर्थन की मांग की ताकि पंजाब का विकास सुनिश्चित हो सके।
केंद्र सरकार से मदद की अपील
मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के सदस्यों के साथ चर्चा के दौरान कहा कि यह सही समय है जब आयोग को पंजाब की जल और कृषि विरासत को बचाने के लिए सक्रियता से मदद करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सिंधु नदी का पानी अन्य राज्यों को दिए जाने पर पंजाब का प्राथमिक अधिकार है। पंजाब ने हमेशा देश की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा किया है, इसलिए इसे अपनी सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता है।
फसली विविधता को बढ़ावा देने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से फसली विविधता और कम पानी वाली धान की किस्मों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग की मांग की। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन 2025 में पंजाब सरकार ने मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए छह जिलों में पायलट परियोजना शुरू की है, जिसमें प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपए की वित्तीय सहायता दी जा रही है।
बीबीएमबी का पक्षपाती रवैया
मुख्यमंत्री ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) के पक्षपाती रवैये का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बोर्ड का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत हुआ था, जिसका उद्देश्य भागीदार राज्यों को पानी और बिजली की आपूर्ति करना है। पंजाब ने हमेशा अपनी जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उदारता दिखाई है।