पंजाब के सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग

सीएम ने केंद्र से आर्थिक सहायता की अपील की
सीएम ने पड़ौसी राज्यों की तर्ज पर केंद्र से आर्थिक मदद की मांग की
चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने नीति आयोग की टीम के समक्ष पंजाब के हितों का मजबूती से प्रतिनिधित्व करते हुए बताया कि पंजाब की सीमा पाकिस्तान के साथ लगभग 533 किलोमीटर लंबी है। इस कारण राज्य के छह जिले पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को दी गई विशेष रियायतों के कारण पंजाब के सीमावर्ती जिलों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि पंजाब के व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए इन सीमावर्ती जिलों को भी सहारा देने की आवश्यकता है।
हर जिले में एग्रो फूड प्रोसेसिंग जोन की स्थापना
सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष रियायती पैकेज की मांग करते हुए, उन्होंने हर जिले में एग्रो फूड प्रोसेसिंग जोन स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें बासमती चावल और लीची जैसे बागवानी उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया जाए। भगवंत सिंह ने सीमावर्ती जिलों में मौजूदा फोकल पॉइंट्स के नवीनीकरण और अमृतसर में प्रदर्शनी-कम-सम्मेलन केंद्र की स्थापना की भी वकालत की।
मुख्यमंत्री ने एग्रो क्षेत्र के लिए पीएलआई स्कीम, टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए कर रियायतें, उद्योग के लिए परिवहन सब्सिडी और सीमावर्ती जिलों के लिए रियायती ब्याज दरों पर ऋण की मांग की।
किसानों की भूमि के लिए मुआवजे में वृद्धि
मान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तारों के बीच स्थित किसानों की 17,000 एकड़ से अधिक भूमि के मालिकों के लिए मुआवजे में वृद्धि की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों को प्रति एकड़ 10,000 रुपए मुआवजा दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 30,000 रुपए किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि यह मुआवजा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से देने के बजाय पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाना चाहिए, क्योंकि ये मेहनती किसान देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।