पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की सुरक्षा के लिए नया कानून प्रस्तावित

पंजाब सरकार का नया कदम
पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार ने 'पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम अधिनियम (एस)-2025' का मसौदा तैयार किया है, जिसे अब सिलेक्ट कमेटी के पास समीक्षा के लिए भेजा गया है। यह विशेष राज्य अधिनियम विधानसभा से पारित होने के बाद सीधे राज्यपाल की मंजूरी से लागू किया जा सकेगा, जिससे इसके अमल में कोई बड़ी बाधा नहीं आएगी।
कानून का व्यापक दायरा
यह कानून केवल सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ श्री गुरुग्रंथ साहिब तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अन्य धर्मों के ग्रंथों, संतों और देवी-देवताओं की बेअदबी से जुड़े मामलों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। सिलेक्ट कमेटी को इस दिशा में कई सुझाव प्राप्त हुए हैं, और समिति के सदस्य विभिन्न धर्मगुरुओं से भी सलाह ले रहे हैं ताकि कानून को सभी समुदायों के प्रति न्यायसंगत और संतुलित बनाया जा सके। यह अधिनियम 'स्टेट एक्ट' के रूप में तैयार किया गया है, जो राज्य सूची के तहत आता है, इसलिए यह पूरी तरह पंजाब सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।
पिछले प्रयासों की तुलना
इससे पहले, 2016 में बादल सरकार और 2018 में कैप्टन अमरिंदर सरकार ने धार्मिक बेअदबी से जुड़े बिल पेश किए थे, लेकिन वे संशोधन बिल थे और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A में बदलाव के कारण उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था। कानूनी पेचिदगियों के चलते वे बिल कभी लागू नहीं हो सके। वर्तमान कानून, चूंकि एक स्वतंत्र और विशिष्ट राज्य अधिनियम है, इसलिए इसमें ऐसी बाधाएं नहीं आएंगी।
नए कानून की सख्ती
विशेषज्ञों के अनुसार, IPC की धारा 295A के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन यह धारा जमानती है। यही कारण है कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने वालों में कानून का डर नहीं होता। नया कानून न केवल कड़ा होगा, बल्कि अपराधियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करेगा, जिससे राज्य में धार्मिक सौहार्द बनाए रखने में मदद मिलेगी।
राजनीतिक हलचल
इस बिल को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। विपक्षी दल सीधे विरोध से बच रहे हैं क्योंकि मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा मानते हुए इसके जल्दबाजी में लाए जाने पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ वर्गों ने यह आशंका जताई है कि इस कानून का दुरुपयोग भी किया जा सकता है। फिर भी, पंजाब में धार्मिक बेअदबी की बढ़ती घटनाओं और उससे उत्पन्न तनाव को देखते हुए एक कठोर कानून की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अब जब यह कानून राज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू होगा, तब उम्मीद की जा रही है कि इससे धार्मिक ग्रंथों की गरिमा और लोगों की धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।