पंजाब में पालतू तोते की मौत पर परिवार ने निभाई इंसानी रस्में
गुरदासपुर में अनोखी श्रद्धांजलि
गुरदासपुर: पंजाब के गुरदासपुर में एक परिवार ने अपने पालतू तोते और तोती की मृत्यु पर एक अनोखी श्रद्धांजलि अर्पित की है। मोहल्ला प्रेम नगर के इस परिवार ने अपने प्रिय पालतू पक्षियों, 'मून' और 'पीहू', की मौत के बाद न केवल गहरा शोक मनाया, बल्कि उनकी आत्मा की शांति के लिए सभी धार्मिक रस्में भी निभाईं, जो आमतौर पर इंसानों के लिए की जाती हैं। परिवार ने गुरुद्वारा साहिब में पाठ का आयोजन किया और दसवें दिन लगभग 300 लोगों के लिए सामूहिक भोजन (लंगर) की व्यवस्था की।
परिवार के मुखिया अशोक कुमार और बबली ने बताया कि उन्होंने इस जोड़े को सात साल पहले पाला था। वे इन पक्षियों को अपने बच्चों की तरह प्यार करते थे और इन्हें अपने लिए बेहद भाग्यशाली मानते थे। परिवार के अनुसार, जब उन्होंने इन पक्षियों को घर लाया था, तब उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी और वे एक कच्चे घर में रहते थे। लेकिन 'मून' और 'पीहू' के घर में आने के बाद उनकी किस्मत बदल गई। उन्हें कई जगहों से रुका हुआ पैसा वापस मिला और एक पुराना जमीनी विवाद भी उनके पक्ष में हल हुआ, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हुआ। परिवार का मानना है कि ये पक्षी उनके लिए दैवीय आत्मा थे।
यह अटूट बंधन तब टूट गया जब 14 नवंबर 2025 को तोते 'मून' की अचानक मृत्यु हो गई। परिवार अभी इस सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि एक महीने बाद 19 दिसंबर 2025 को तोती 'पीहू' ने भी दम तोड़ दिया। दोनों बार परिवार ने पूरी विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया। मृत्यु के तुरंत बाद रिश्तेदारों को बुलाया गया, पक्षियों के शवों को नहलाया गया और उनके मुंह में गंगाजल डालकर घर के आंगन में दफनाया गया। शोक स्वरूप 10 दिनों तक लगातार समाधि स्थल पर गंगाजल का छिड़काव किया गया।

अपने प्रिय पक्षियों की आत्मा की शांति के लिए परिवार ने गुरुद्वारा साहिब में पाठ रखा। भोग के दिन उन्होंने समाज और रिश्तेदारों को आमंत्रित कर 300 लोगों को भोजन कराया। परिवार द्वारा तोता-तोती के लिए किया गया यह तर्पण पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने समाज को यह संदेश दिया है कि पशु-पक्षी केवल जानवर नहीं होते, बल्कि अगर उन्हें प्यार दिया जाए तो वे परिवार के सदस्य की तरह बन जाते हैं।
