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पंजाब में बाढ़ का संकट: क्या प्रशासन की तैयारी में कमी है?

पंजाब में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर है, जहां एक हजार से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री मान से बातचीत कर राहत कार्यों को तेज करने की बात की है। 12 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं, और लाखों लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं। मौसम विभाग ने भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे हालात और बिगड़ने की आशंका है। क्या प्रशासन ने इस संकट के लिए पर्याप्त तैयारी की थी? जानें इस लेख में।
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पंजाब में बाढ़ का संकट: क्या प्रशासन की तैयारी में कमी है?

पंजाब में बाढ़ की गंभीर स्थिति

Punjab Floods 2025 : उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, लेकिन पंजाब में हालात सबसे अधिक चिंताजनक हैं। पिछले कुछ दिनों से निरंतर बारिश के चलते राज्य की नदियां जैसे सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।


एक हजार से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में

बाढ़ के कारण पंजाब के लगभग 1,000 गांव प्रभावित हो चुके हैं, जहां पानी लोगों के घरों और खेतों में भर गया है। कई जिलों में आपदा प्रबंधन टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।


PM मोदी की CM मान से आपात बातचीत

चीन के शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (SCO) सम्मेलन से लौटने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से बातचीत की और राज्य में बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली। इस चर्चा में राहत कार्यों को तेज करने और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता पर जोर दिया गया।


12 जिले गंभीर रूप से प्रभावित, लाखों लोग प्रभावित

पंजाब के 23 जिलों में से 12 बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अब तक 30 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और लगभग 15 लाख लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं। सरकार ने करीब 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है, जबकि लगभग 3 लाख एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जिससे धान, कपास और मक्का जैसी फसलें बर्बाद हो गई हैं।


बारिश का रेड अलर्ट, हालात सुधरने की उम्मीद नहीं

मौसम विभाग ने पंजाब में भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। जलस्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ से राहत की कोई तात्कालिक संभावना नहीं दिख रही है।


कमजोर बुनियादी ढांचे ने बढ़ाई परेशानी

बाढ़ से निपटने के लिए हर साल नदी तटों की सफाई, अतिक्रमण हटाने और ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने जैसे कार्य किए जाते हैं। लेकिन इस बार पंजाब में इन कार्यों की कोई ठोस तैयारी नहीं दिखी। अधिकांश नदी किनारे और नालों की सफाई समय पर नहीं हुई, जिससे पानी का बहाव अवरुद्ध हो गया और बाढ़ की तीव्रता बढ़ गई।


भाखड़ा-नांगल डैम विवाद बना वजह

भाखड़ा नांगल डैम में पानी को जरूरत से ज्यादा रोकने को भी बाढ़ का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। मई में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच डैम के पानी के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ। इस दौरान प्रशासन डैम से जुड़ी राजनीति में उलझा रहा और मॉनसून के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं की गईं। जब पहाड़ों से अत्यधिक पानी आया, तो मजबूरी में रंजीत सागर, पोंग और भाखड़ा डैम से एक साथ पानी छोड़ा गया, जिससे बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई।


प्रकृति की मार या प्रशासन की चूक?

हालांकि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन समय पर तैयारी और ठोस योजना से नुकसान को कम किया जा सकता है। पंजाब में लगातार तीसरी बार बाढ़ का सामना कर रहे लोगों के लिए अब स्थायी समाधान की आवश्यकता है, ना कि केवल आपात राहत। यह समय है जब राज्य सरकार को मौसम के साथ-साथ अपनी व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाने होंगे।