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पंजाब में बाढ़ की स्थिति: बांधों से पानी छोड़ने की आवश्यकता पर बीबीएमबी का बयान

उत्तर भारत में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है, खासकर पंजाब में। बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने सुझाव दिया है कि यदि बांधों से पूरे वर्ष एक अनुपात में पानी छोड़ा जाए, तो बाढ़ की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने राज्य सरकारों की पानी की मांग और बांधों की सुरक्षा पर भी चिंता जताई। वर्तमान में, पंजाब के 1655 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिससे लाखों लोग संकट में हैं। जानें इस स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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पंजाब में बाढ़ की स्थिति: बांधों से पानी छोड़ने की आवश्यकता पर बीबीएमबी का बयान

बीबीएमबी चेयरमैन का महत्वपूर्ण बयान


चंडीगढ़: उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में इस वर्ष भयंकर बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब के सभी जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, जबकि हरियाणा के कई क्षेत्र भी जलमग्न हो चुके हैं। भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकारें हस्तक्षेप न करें और बांधों से पूरे वर्ष एक निश्चित अनुपात में पानी छोड़ा जाए, तो बाढ़ की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकारें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पानी की मांग करती हैं, लेकिन यह नहीं देखतीं कि बांधों में पानी भर गया है और बारिश के मौसम में यह खेतों को प्रभावित कर सकता है।


राज्यों को बदलनी होगी सोच

त्रिपाठी ने कहा कि बांधों को हमेशा भरा रखना चाहिए, और राज्यों को अपनी पुरानी सोच को बदलना होगा। मानसून के दौरान अतिरिक्त पानी के कारण बांधों से भारी मात्रा में पानी छोड़ना पड़ता है, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है। उन्होंने बताया कि भाखड़ा का जलस्तर लंबे समय से 1400 फीट तक नहीं गया है। तकनीकी समिति ने भी इस मुद्दे को उठाया है। इस बार भारी बारिश के कारण बांधों में पानी की मात्रा बढ़ गई है, जिससे पंजाब में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है।


बांधों की सुरक्षा पर ध्यान

त्रिपाठी ने कहा कि भाखड़ा से प्रतिदिन हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि बांधों की सुरक्षा और उनकी सफाई पर ध्यान देना आवश्यक है, लेकिन प्रशासन अधिक पानी छोड़ने में असमर्थ है। राज्यों को यह डर रहता है कि कम बारिश के कारण बांधों का जलस्तर गिरने से पानी की कमी हो सकती है, लेकिन यह सोच गलत है। उदाहरण के लिए, हरियाणा ने केवल 8800 क्यूसेक पानी की मांग की थी, जबकि अब हर रोज इससे अधिक पानी बांधों से छोड़ा जा रहा है।


पंजाब के प्रभावित गांव

राज्य के 1655 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें अमृतसर के 390, गुरदासपुर के 324, बरनाला के 37, बठिंडा के 13, फिरोजपुर के 111, होशियारपुर के 121, कपूरथला के 178, लुधियाना के 216 और मानसा के 114 गांव शामिल हैं। इसके अलावा पटियाला में 29, रूपनगर में 3 और तरनतारन में 70 गांव जलमग्न हैं। इस बाढ़ से अब तक 3,55,709 से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र अमृतसर (1,75,734), गुरदासपुर (1,45,006) और फाजिल्का (21,526) हैं। इसके अलावा फिरोजपुर, कपूरथला, मोगा, संगरूर और मोहाली में भी हजारों लोग संकट में हैं।